जलंधर में 19 चमड़ा कारखाने बंद होंगे

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पंजाब के जलंधर जिले में भारी धातु सहित प्रदूषणकारी सामग्री नाले में प्रवाहित करने पर 19 चमड़ा कारखाने बंद करने का आदेश दिया है। नाले में सीधे ऐसी सामग्री बह कर आने की वजह से पर्यावरण को गंभीर खतरा पहुंचा है। अधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली पीठ ने 61 उद्योगों के निरीक्षण के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था और चमड़ा उद्योग पर संपूर्ण और समग्र रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था।

समिति को चमड़ा कारखाने से जल के स्रोतों, पानी के उपभोग, प्रवाह को लेकर किसी तरह का मीटर लगाने और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से अनुमति लेने आदि के बारे मे अपनी रिपोर्ट देनी है। पीठ ने कहा- हमने 19 उद्योगों को निर्देश दिया है, जिसने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार आदेश का पालन नहीं किया और प्रदूषण फैलाया। ये इकाईयां विभिन्न मानकों पर नियमों का उल्लंघन करते पाई गर्इं। इसलिए उन्हें बंद करने का निर्देश दिया जाता है।

पीठ ने कहा- बोर्ड की अनुमति हासिल करने के लिए समुचित आवेदन सुपुर्द करने तक उन्हें निर्माण या चमड़ा शोधन संबंधी किसी अन्य गतिविधि की इजाजत नहीं होगी। अधिकरण ने स्थानीय निवासी दर्शन सिंह और चमियारा गांव में रहने वाले अन्य की ओर से दायर याचिका पर यह निर्देश दिया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है जलंधर जिले में इन चमड़ा कारखानों से भारी धातु जैसे विभिन्न प्रदूषणकारी तत्वों का पानी बगैर शोधन के ही सतलुज नदी में गिरने वाले नाले में सीधे प्रवाहित होता है।

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