प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- ‘मेहरम’ के बगैर अब हज पर जाएंगी महिलाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुसलिम महिलाओं को एक बार में तीन तलाक कह कर शादी तोड़ने और हज यात्रा पर जाने वाली महिलाओं को मेहरम की पाबंदी से दशकों बाद मुक्ति मिलने पर खुशी जाहिर की है।  प्रधानमंत्री ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए केरल के वर्कला स्थित शिवगिरी मठ में आयोजित 85वें शिवगिरी तीर्थयात्रा समारोह के उद्घाटन भाषण और फिर रेडियो पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम में ये बातें कहीं। इस साल के अंतिम ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद इस मुद्दे पर अपनी पहली टिप्पणी में कहा, ‘कई वर्ष तक पीड़ा झेलने के बाद, मुसलिम समुदाय की महिलाओं को आखिरकार खुद को इस प्रथा से आजाद कराने का रास्ता मिल गया है। पिछले हफ्ते लोकसभा में पारित ‘मुसलिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ का उल्लेख किए बिना मोदी ने कहा कि बार में तीन तलाक की इस प्रचलित प्रथा के कारण मुसलिम समुदाय की महिलाओं ने कई वर्ष तक तकलीफें झेलीं। लेकिन अब उन्हें इस प्रथा से खुद को आजाद कराने का एक तरीका मिल गया है।  भारत से ‘मेहरम’ के बगैर 1320 महिलाएं हज यात्रा पर जाएंगी। हज यात्रा के लिए इस बार 370,000 लोगों ने आवेदन किए हैं, जिनमें 1,320 आवेदन उन महिलाओं के हैं, जो ‘मेहरम’ के बिना हज पर जाने की तैयारी में हैं। भारतीय हज समिति ने इन सभी महिलाओं के आवेदन स्वीकार कर लिए हैं। केंद्र सरकार की नई हज नीति के तहत 45 वर्ष या इससे अधिक उम्र की महिलाओं के हज पर जाने के लिए यह पाबंदी हटा ली गई है। ‘मेहरम’ वह शख्स होता है, जिससे महिला की शादी नहीं हो सकती अर्थात पुत्र, पिता और सगे भाई। रविवार को आकाशवाणी पर अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेहरम की पाबंदी के कारण बहुत सारी महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता था और कई बार तो वित्तीय एवं दूसरे सभी प्रबंध होने बावजूद सिर्फ इसी कारण वे हज पर नहीं जा पाती थीं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी जानकारी में बात आई कि यदि कोई मुसलिम महिला हज यात्रा के लिए जाना चाहती है तो वह मेहरम या पुरुष अभिभावक के बगैर नहीं जा सकती है। ये भेदभाव क्यों? मैं जब उसकी गहराई में गया तो हैरान हो गया कि आजादी के 70 साल बाद भी ये शर्तें लगाने वाले हम ही लोग थे। दशकों से मुसलिम महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा था, लेकिन कोई चर्चा ही नहीं थी।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय ने जरूरी कदम उठाते हुए मुसलिम महिलाओं को हज पर बिना ‘मेहरम’ के जाने पर लगी पाबंदी को हटाया। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के अनुसार, बगैर मेहरम के महिलाओं के आवेदन को लाटरी से छूट दी गई थी। हज समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मकसूद अहमद खान के अनुसार, ‘इस बार 370,000 लोगों ने आवेदन किया है। सबसे अधिक 67 हजार आवेदन केरल से आए हैं। हज आवेदन की आखिरी तिथि 22 दिसंबर थी। मेहरम के बिना हज पर जाने के लिए सबसे अधिक केरल की महिलाओं ने आवेदन किया है। राज्य की 1100 से अधिक महिलाओं ने आवेदन किया है।’ केंद्र सरकार की ओर से नई हज नीति लागू करने के बाद यह पहला हज होगा। हज के लिए भारत का कोटा 1 लाख 70 हजार हज यात्रियों का है। पिछले साल के मुकाबले इस बार हज आवेदन की संख्या में कमी आई है। बीते साल चार लाख से अधिक आवेदन आए थे। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी सात जनवरी को सऊदी अरब में होंगे जहां सऊदी अरब के हज मामलों के मंत्री के साथ समझौते पर दस्तखत करेंगे। इस दौरान भारत हज कोटे में बढ़ोतरी की मांग करेगा।

क्या है ‘मेहरम’
इस्लाम में कहा गया है कि ‘मेहरम’ (वयस्क, पति या जिसके साथ खून का रिश्ता हो) के बिना औरतों का हज जायज नहीं। ‘मेहरम’ वह है, जिसके साथ निकाह नहीं हो सकता। जैसे मां, बहन, सास, फूफी, नानी और दादी आदि के ‘मेहरम’ बेटा, भाई, दामाद, भतीजा, धेवता और पोता कहे जाते हैं। बीवी का ‘मेहरम’ उसका शौहर है। ये शरई कानून सऊदी अरब हुकूमत में लागू हैं।

‘मेहरम’ के बारे में सऊदी अरब में नियम
सऊदी अरब में पहले ही से इस संबंध में नियम बनाए जा चुके हैं कि 45 साल से अधिक उम्र की महिलाएं बिना ‘मेहरम’ के एक संगठित समूह के साथ हज की यात्रा कर सकती हैं। हालांकि उन्हें अपने शौहर, पुत्र या भाई से अनापत्ति प्रमाणपत्र देना होता है। कुरान में हज तीर्थयात्रा के संबंध में करीब 25 आयतें हैं। इनमें हज तीर्थयात्रियों के लिए कई निर्देश दिए गए हैं, हालांकि इनमें इनमें ‘मेहरम’ की अनिवार्यता का जिक्र नहीं है। हदीथ के मुताबिक, मोहम्मद पैगंबर ने हज तीर्थयात्रा के दौरान संभावित खतरे को देखते हुए सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे निर्देश दिए थे। पहले हज यात्रा के दौरान लुटेरों और चोरों से भी सुरक्षा की भी आवश्यकता होती थी। शुष्क मरुस्थल में यात्रा करना और भी कठिन था। हालांकि आधुनिक समय में अब काफी बदलाव हो चुके हैं।

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