कनॉट प्लेस की कुछ इमारतें अंदर से हो चुकी हैं खंडहर

मुंबई के रेस्तरां में हुई आगजनी में 14 लोगों की मौत से दिल्ली की सिविक एजंसियां और सुरक्षा दस्ता कोई सबक नहीं ले रहे हैं। कनॉट प्लेस की अधिकतर इमारतों को राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान 2010 में भले ही रंग-रोगन कर दिया गया हो पर कुछ अब भी अंदर से खंडहर बनी हैं, जो खतरे से खाली नहीं हैं। नए साल की पूर्व संध्या पर कनॉट प्लेस में जश्न होता है। दिल्ली और आसपास के शहरों से परिवार सहित मौज मस्ती करने आने २२वाले लोगों को शायद यह पता नहीं है कि वे जिस भवन में जश्न मना रहे हैं, वह उनके लिए कभी भी खतरा बन सकता है। इसके लिए नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) जैसी सिविक एंजसियां और दिल्ली पुलिस पूरी तरह से आंखें मूंदे दिख रही हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस ने मुंबई हादसे से सबके लेते हुए कुछ सावधानियां और चेतावनी जारी कर यह दिखाने की कोशिश की है कि वह इस मामले में मुस्तैद है, पर ग्रेटर कैलाश में ही शनिवार देर रात पब में गोली चलने की वारदात ने पुलिसिया दावे पर सवालिया निशान लगा दिया है।

एनडीएमसी के मुताबिक उसने कई बार इस तरह के बीयर-बार और रेस्टोरेंट को तोड़फोड़ के आदेश दिए हैं पर कई दुकानदार स्टे लेकर आ जाते हैं तो संबंधित विभाग उस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। एनडीएमसी ने 17 मई 2017 को कनॉट प्लेस की 19 ऐसे भवनों के खिलाफ तोड़फोड़ का आदेश निकाला था जिन्होंने अवैध निर्माण किया है। इनमें से ज्यादातर पब-बार और रेस्टोरेंट हैं हालांकि छह महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है। कनॉट प्लेस स्थित भवनों के मालिक की दलील है कि उनके किराएदार ने अवैध निर्माण कर रखा है। इसकी शिकायत उन्होंने कई बार एनडीएमसी में भी की जिसके बाद एनडीएमसी ने तोड़फोड़ का आदेश दिया। उनकी प्रापर्टी का नाम भी उस सूची में डाला पर अभी तक तोड़फोड़ नहीं हो सकी जिससे खतरा हमेशा मंडरा ही रहा है। बताया जा रहा है कि कनॉट प्लेस में करीब 20 ऐसी प्रॉपर्टी हैं जिनमें अवैध निर्माण चिन्हित हुआ है और जिन्हें तोड़ने का आदेश निकाला जा चुका है लेकिन किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में मुंबई की तरह दिल्ली में भी कोई बड़ा हादसा हो जाए तो फिर इस अनहोनी के लिए कौन जिम्मेदार होगा। पूर्वी दिल्ली के ललिता पार्क के हादसे को लोग अभी भी नहीं भूले हैं जिसमें काफी लोगों की मौत हो गई थी।

दिल्ली पुलिस के मुख्य प्रवक्ता दीपेंद्र पाठक का कहना है कि इस बात पर ध्यान है कि रेस्तरां और पबों में ऐसी कोई अनधिकृत मनोरंजन गतिविधि नहीं हो जिसके लिए आग प्रयोग में लाया जाता हो। आम तौर पर लोग इस तरह के करतबों या मनोरंजक गतिविधियों के लिए अनुमति नहीं लेते हैं। पाठक ने कहा कि दिल्ली पुलिस के लाइसेंसिंग विभाग ने दिल्ली दमकल सेवा को पत्र लिखकर औचक निरीक्षण करने को कहा है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि आग से सुरक्षा के सभी मानकों का पालन हो रहा है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई उल्लंघन पाया गया तो पुलिस मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए लाइसेंस निलंबित कर सकती है या रद्द कर सकती है।

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