हज पर अकेली जा सकेंगी मुस्लिम महिलाएं: AIMPLB ने कहा- मुसलमान मौलाना का कहा मानते हैं ना कि मोदी जी का
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बगैर मेहरम (पुरुष अभिभावक) के हज पर मुस्लिम महिलाओं के जाने की पीएम की घोषणा का विरोध किया है। AIMPLB सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल हामिद अजहरी ने कहा कि यह एक धार्मिक मसला है, ऐसा मामला नहीं है कि जिसे की संसद में लाया जाए और उस पर कानून बनाया जाए। पीएम मोदी की घोषणा से नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा, ‘ 99 प्रतिशत आदमी और मुसलमान अपने धर्म का वैसा ही पालन करते हैं जैसा कि उनके धर्मगुरु कहते हैं, ना कि पीएम मोदी जी या कोई और जैसा कहता है।’ अजहरी ने कहा कि एक मुस्लिम महिला बिना पुरुष साथी के तीन दिन या फिर 78 मील से ज्यादा सफर नहीं कर सकती है, चाहे वह हज जाना हो या कहीं दूसरी जगह।’ पुणे में मौलाना ने कहा कि यदि एक महिला के पास पुरुष अभिभावक नहीं है और उसके पास मेहरम को हज पर ले जाने के लिए पैसे भी नहीं हैं तो उसे अकेले जाने की इजाजत है।
बता दें कि पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 2017 के अंतिम संस्करण में रविवार को कहा “मैंने देखा है कि अगर कोई मुस्लिम महिला हज यात्रा के लिए जाना चाहती है तो वह बिना ‘महरम’ (एक पुरुष संरक्षक) के नहीं जा सकती।” उन्होंने कहा, “और जब मैंने इस बारे में पता किया तो मुझे पता चला कि वह हम लोग ही हैं, जिन्होंने महिलाओं के अकेले हज पर जाने पर रोक लगा रखी है। इस नियम का कई इस्लामिक देशों में अनुपालन नहीं किया जाता।” मोदी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय ने यह प्रतिबंध हटा लिया है और अब मुस्लिम महिलाओं को बिना किसी पुरुष संरक्षक के हज यात्रा करने की अनुमति होगी। प्रधानमंत्री ने कहा, “अब तक, 1,300 महिलाएं बिना महरम के हज यात्रा करने के लिए आवेदन कर चुकी हैं।” उन्होंने कहा कि महिलाओं को पुरुषों की तरह समान अवसर मिलने चाहिए।
इधर महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली सुधा रामलिंगम ने कहा है कि पीएम मोदी की घोषणा वर्तमान कानून में कोई बदलाव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इसके कुछ भी नया नहीं है, सऊदी अरब का कानून कहता है कि 45 साल से ऊपर की महिलाएं अकेले हज पर आ सकती हैं लेकिन उन्हें ग्रुप में होना चाहिए और अपने पुरुष अभिभावक से पत्र लिखवाकर लाना पड़ेगा।’ हालांकि कई महिला संगठनों ने पीएम मोदी की इस घोषणा का स्वागत किया है।