बरेली : पति के इलाज महिला को अपना 15 दिन का मासूम बेचना पड़ा।
उत्तर प्रदेश के बरेली में एक महिला को अपने पति के इलाज के लिए 15 दिन का मासूम बेचना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खोह ढकिया नाम के गांव के रहने वाले मजदूर हरस्वरूप की उत्तराखण्ड में मजदूरी करने के दौरान मकान की दीवार गिरने से रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए दिल्ली या लखनऊ ले जाने की सलाह दी थी। लेकिन पत्नी पैसों का इंतजा नहीं कर सकी। हरस्वरूप के पहले से दो बेटे हैं, 15 दिन पहले पत्नी संजू ने एक और बेटे को जन्म दिया। पति के इलाज के लिए पैसे न होने के कारण मजदूर की पत्नी ने नवजात को बेच दिया। बताया जा रहा है कि शनिवार को एक शख्स बच्चे को 42,000 रुपये में खरीदकर ले गया।
मीडिया द्वारा मामला उठाए जाने के बाद बरेली के डीएम राघवेंद्र विक्रम ने महिला को मदद मुहैया कराने की घोषणा की, लेकिन डीएम की आलोचना भी हो रही है। डीएम ने एक समाचार चैनल से फोन पर कहा कि महिला का पक्का मकान बना है, इसका पति सक्षम आदमी था। एक समस्या के कारण इसकी स्थिति खराब हो गई। डीएम की ‘पक्का मकान’ वाली बात लोगों को हजम नहीं हो रही है। सोशल मीडिया पर लोग उनके बयान पर नाखुशी भी जता रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा- पक्का मकान होना अमीरी का परिचायक नहीं है, यह तो किसी समय हाथ पांव चलते हैं तो गुजारे के लिए लोग कर्ज लेकर बना ही लेते हैं क्योंकि कच्चा बनाना किसी के बस की बात ही नहीं है। इलाज के लिए बच्चे को बेचना सिस्टम के लिए शर्मनाक स्थिति है। ऐसा बयान देने से पहले चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए।
पिछले वर्ष चिकित्सा सुविधाओं में धांधली को लेकर प्रदेश सरकार फजीहत झेल चुकी है। गोरखपुर के मेडीकल कॉलेज में जापानी बुखार से ग्रसित कई बच्चों की ऑक्सीजन न मिलने कारण जान चली गई थी। तब भी सरकार और प्रशासन पर लापरवाही और धांधली के आरोप लगे थे।