तीन तलाक पर राज्यसभा में पेश करने को लेकर सरकार व विपक्ष में हो सकता टकराव
तीन तलाक को आपराधिक व दंडनीय बनाने का प्रावधान करने वाले विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा में पेश करने के दौरान सरकार व विपक्ष आमने-सामने आ सकते हैं। गैर भाजपा दल इस विधेयक की विस्तृत समीक्षा के लिए इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर सकते हैं। विधेयक पर आगे का रुख तय करने के लिए विपक्षी दल मंगलवार सुबह मिलने वाले हैं। इस विधेयक को गुरुवार को लोकसभा पारित कर चुकी है जहां सरकार बहुमत में है। लेकिन, राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में सरकार विधेयक को सदन में पारित कराने के लिए कुछ विपक्षी दलों के संपर्क में है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 मंगलवार को राज्यसभा में विचार व पारित कराने के लिए सूची में है।
कांग्रेस व कुछ अन्य दलों ने लोकसभा में मांग की थी कि विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाए लेकिन सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया था। विपक्ष द्वारा विधेयक में सुझाए गए संशोधनों को भी खारिज कर दिया गया था। विपक्षी सूत्रों का कहना है कि कई दल विधेयक को ऊपरी सदन की प्रवर समिति के पास भेजने के पक्ष में हैं।
कांग्रेस में एक विचार यह पाया जा रहा है कि अगर तीन तलाक को दंडनीय बनाने या सजा की अवधि कम किया जाना संभव न हो तो भी पार्टी को इसे जमानती मामला बनाए जाने पर जोर देना चाहिए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी तीन तलाक का विरोध करती है और इसका खात्मा चाहती है। लेकिन विधेयक में एक आपराधिक पहलू जोड़ दिया गया है। (मुसलमानों में) विवाह एक नागरिक संविदा है और नया कानून इसमें एक आपराधिक पहलू जोड़ रहा है जो कि गलत है। उन्होंने कहा, ” भाजपा राजनैतिक लाभ और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए इस विधेयक को जल्दबाजी में लेकर आई है।