गुजरात में पहली बार विधायक बने जिग्नेश मेवाणी ने दिल्ली आकर साधा पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना

गुजरात में पहली बार विधायक बने 35 साल के जिग्नेश मेवाणी ने नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा पर प्रधानमंत्री अपनी चुप्पी तोड़ें। लगे हाथ उन्होंने कहा कि देशभर में दलितों पर हो रही हिंसा पर पीएम मोदी क्यों चुप हैं? बनासकांठा के वडगाम सीट से दलित विधायक जिग्नेश पर हाल ही में महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई जातीय हिंसा में हाथ होने का आरोप लगाया गया था। इसके जवाब में नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पीएम मोदी, बीजेपी और आरएसएस पर हमला बोलते हुए जिग्नेश ने कहा कि संघ परिवार और बीजेपी के लोग गुजरात विधान सभा चुनाव में कम सीटें मिलने से बौखलाए हुए हैं और उसकी खीझ निकालने के लिए महाराष्ट्र हिंसा में हमारा नाम लाकर हमारी छवि धूमिल करना चाहते हैं। जिग्नेश ने कहा, “बीजेपी और संघ परिवार को 2019 की डर सता रहा है। इसीलिए ये लोग मेरी छवि धूमिल कर मुझे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।”

जिग्नेश ने कहा, “मेरे भाषण का एक भी शब्द न तो आपत्तिजनक है और न ही उत्तेजक है। मुझे जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।” जिग्नेश ने सवालिया लहजे में पूछा कि जब मैंने अपने भाषण में एक भी शब्द आपत्तिजनक नहीं कहा तो फिर उसकी वजह से हिंसा कैसे हुई? जिग्नेश ने कहा कि संघ परिवार औप बीजेपी के लोग मेरी छवि खराब करने की बचकाना हरकत कर रहे हैं। उन्होंने देश से जाति व्यवस्था बी खत्म करने की अपील की।

बता दें कि मुंबई में जिग्नेश मेवाणी पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में केस दर्ज हुआ है। इसके बाद पुलिस ने जिग्नेश के खिलाफ सर्च वारंट जारी किया है। जिग्नेश के खिलाफ एफआईआर भीमा-कोरेगांव की घटना के बाद हुई है। गुरुवार को मेवाणी के साथ जेएनयू छात्रसंघ के नेता उमर खालिद मुंबई में एक छात्र कार्यक्रम को संबोधित करने वाले थे, जिसे प्रशासन ने रद्द कर दिया था। गुरुवार को ही उनके खिलाफ सर्च वारंट भी जारी हुआ।

गौरतलब है कि सोमवार को कोरेगांव-भीमा में आंग्ल-मराठा युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर एक जनवरी को आयोजित समारोह में हुए दंगे में एक युवक की मौत के विरोध में महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया गया था। इस समारोह में अंग्रेजों द्वारा सानसवाडी गांव में बनाये गए विजय स्तंभ के पास भारी तादाद में दलित समुदाय के लोग इकट्ठा हुए थे,जहां पत्थरबाजी की घटना के बाद हिंसा भड़क उठी जिसमें 28 वर्षीय राहुल फटंगले की मौत हो गई थी। इस हिंसा के बाद दलित संगठनों ने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया था। महाराष्ट्र के 18 जिलों में दलित संगठनों ने तोड़-फोड़ और आगजनी की थी।

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