सिर्फ़ 7 घंटे मे 100 साल पुराना पुल तोड़कर नया बनाने का भारतीय रेल ने रचा इतिहास

देश की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल ने एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। रेलवे ने महज 7 घंटे 20 मिनट में नया पुल बनाकर इतिहास रचा है। रेलवे ने इस नए पुल के बनते ही इस पर सफलतापूर्वक ट्रेन भी गुजारी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी के नजीबाबाद-मुरादाबाद के बीच बुंदकी के पास करीब 100 साल पुराना रेलवे का पुल जर्जर हो चुका था। हालत खराब के कारण पुल से ट्रनें बेहद धीमी गति से गुजरती थीं। इससे ट्रेनों के आने-जाने के समय पर फर्क पड़ता था। यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ता था। लेकिन यात्रियों की समस्या और पुल की खराब हालत ने रेलवे का ध्यान खींचा और फिर जो हुआ, वह सबके सामने है। बहुत कम समय में रेलवे के बनाए इस पुल से अब 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनें गुजर सकती हैं।

नया पुल बनाने का कारनामा रेलवे के सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर पारितोष गौतम और उनकी टीम ने किया। पारितोष अपनी टीम के साथ 3 जनवरी को सुबह 9.35 बजे साइट पर पहुंचे। 1.24 बजे तक पुल को तोड़कर उसका मलबा हटा लिया गया। 3.05 बजे तक पुल का ढांचा तैयार कर दिया गया। 5.15 बजे तक नया पुल बनकर तैयार हो चुका था। पुल को बनाने में फेब्रीकेटेड मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया। फेब्रीकेटेड मेटेरियल पहले से तैयार किए गए सामान को कहते हैं। इसके तहत पुल का ढांचा पहले से तैयार कर लिया जाता है और फिर उसे सेट कर दिया जाता है।

पुल के निर्माण के दौरान लक्सर-मुरादाबाद के बीच रेल सेवाएं बाधित रहीं। कई गाड़ियों के रूट बदले गए तो कुछ को रद्द कर दिया गया। पुल जब बनकर तैयार हो गया तो सबसे पहले लिंक एक्प्रेस को गुजारा गया। ट्रेन की गति धीमी रखी गई। लिकं एक्सप्रेस देहरादून से इलाहाबाद के लिए चलती है। इसके बाद ट्रेनें पुल से गुजरने लगीं। रेलवे के डिवीजनल मैनेजर अजय कुमार सिंघल ने बताया कि इस काम में 70 लोग लगे थे। उन्होंने पुल के सफलतापर्वक निर्माण के लिए सभी को बधाइयां दीं।

भारतीय रेल अक्सर हादसों और ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण लोगों के गुस्से का शिकार बनती है। लेकिन इस पुल के निर्माण से लोगों में उसके प्रति सकारात्मक संदेश गया है। साथ ही इस निर्माण ने टीमवर्क की अद्भुत मिसाल पेश की है।

 

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