तीन तलाक पीड़ितों का संसद के बाहर प्रदर्शन, कांग्रेस पर लगाया बिल रोकने का आरोप
संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो चुका है लेकिन इस सत्र में तीन तलाक के खिलाफ लाया गया बिल पास नहीं हो सका। मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) बिल 2017 को सरकार ने लोकसभा से तो पास करा लिया लेकिन राज्यसभा में जाकर यह बिल अटक गया। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल में संशोधन की मांग करते हुए उसे सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की लेकिन सरकार संशोधनों के खिलाफ रही। साथ ही सरकार ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भी नहीं भेजा। इस वजह से राज्य सभा में तीन दिनों तक हंगामा होता रहा और आखिरकार शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया। बिल लटकने से नाराज मुस्लिम महिलाओं ने संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया । इन महिलाओं ने कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हुए उस पर जानबूझकर बिल को लटकाने का आरोप लगाया है।
तलाक पीड़ित महिलाओं ने आरोप लगाया है कि साल 1986 में जब राजीव गांधी की सरकार ने शाह बानो केस में आए फैसले के बाद कानून बनाया था तो उसमें सिर्फ इद्दत के दौरान यानी तीन महीने के लिए ही मुस्लिम महिलाओं को मुआवजा राशि देने का प्रावधान किया गया था। ऐसे में आज कांग्रेस क्यों मुआवजा पर शोर मचा रही है। बता दें कि कांग्रेस मौजूदा बिल में पीड़ित महिलाओं को मुआवजे का प्रावधान करने की मांग कर रही है । इसके लिए ही कांग्रेस ने संशोधन प्रस्ताव रखा है। कांग्रेस का तर्क है कि अगर तीन साल तक किसी तलाकशुदा महिला का पति जेल चला जाएगा तो उसका गुजारा कैसे चलेगा?
बता दें कि सरकार ने 28 दिसंबर को लोकसभा में तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाला मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) बिल 2017 पेश किया था। उसी दिन पांच घंटे की बहस के बाद सदन ने वोटिंग के बाद उसे पास कर दिया। बिल में कुछ संशोधनों को लेकर वोटिंग हुई थी। एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संशोधन प्रस्ताव पेश कर उस पर वोटिंग की मांग की थी। सदस्यों ने उनके संशोधनों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। एक संशोधन पर हुई वोटिंग में तो ओवैसी के पक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े। जबकि, इसके खिलाफ 241 वोट पड़े। दूसरे प्रस्ताव में भी उनके पक्ष में सिर्फ 2 वोट पड़े। वहीं, 242 लोगों ने उनके प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया।
गौरतलब है कि यह बिल लोकसभा में बगैर किसी संशोधन के पास हुआ था। सभी संशोधन खारिज कर दिए गए। बिल को लेकर कुछ संशोधन रखे गए थे, जिनमें दो संशोधन ओवैसी ने आगे बढ़ाए थे जबकि, एक संशोधन बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने बढ़ाया था। वहीं, कांग्रेस की ओर से सुष्मिता देव और सीपीआईएम के ए.संपत ने संशोधन आगे बढ़ाए थे, जिन्हें संसद में नकार दिया गया। अब यह बिल राज्यसभा में जाएगा।