तिरुपति मंदिर के 44 गैर हिंदू कर्मचारियों को दूसरे विभागों में नौकरी देगी आंध्र प्रदेश सरकार
आंध्र प्रदेश के तिरुमाला स्थित भगवान वेंकटेश्वर के तिरुपति बाला जी मंदिर में काम करने वाले दूसरे धर्म के कर्मचारियों को राज्य के दूसरे विभागों में भेजा जाएगा। राज्य सरकार ने यह फैसला किया है। मंदिर की समिति तिरुमाला तिरुपति देवास्थानम (टीटीडी) ने इस बाबत कमर कस ली है। टीटीडी को कई लोगों से जानकारी मिली थी कि मंदिर प्रबंधन ने गड़बड़ी कर दूसरे धर्म के लोगों को नौकरियां दीं। मामले ने उस वक्त तूल पकड़ लिया जब एक मंदिर की एक महिलाकर्मी का पास की एक चर्च में प्रार्थना करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिशा निर्देशों के हिसाब से मंदिर में गैर हिंदू लोग काम नहीं कर सकते हैं। टीटीडी ने 44 लोगों को दूसरे धर्म के लोगों के रूप में चिन्हित किया है, जिन्हें मंदिर छोड़ना पड़ेगा। तिरुपति बाला जी का यह स्थान दुनिया का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। चूंकि यहां दूसरे धर्मों के लोग काम नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन की इच्छा जताकर रजिस्टर में एंट्री करके मंदिर में जा सकते हैं। उन्हें यह भी स्पष्ट करना होता कि वे हिंदुओं के भगवान वेंकटेश्वर के प्रति श्रद्धा रखते हैं।
टीटीडी के एक्जिक्यूटिव ऑफिसर अनिल कुमार सिंघल ने बताया कि सभी 44 गैर हिंदू कर्मचारियों को नोटिस देकर उनसे इस मामले जवाब मांगा गया है। सिंघल ने शुक्रवार (5 जनवरी) को मीडिया से कहा- हम इन लोगों को राज्य सरकार के दूसरे विभागों में उनके स्तर के पदों और तनख्वाह पर भेजने का विचार कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश सरकार दूसरे विभागों में उन्हें रखने पर राजी हो गई है।
टीटीडी को पता चला था कि वायरल वीडियो में दिखने मंदिर की महिलाकर्मी आधिकारिक वाहन नियमित तौर पर चर्च जाती थी। इस वीडियो के बाद लोगों और कई हिंदू संगठनों ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी और गैर हिंदू कर्मचारियों को फौरन मंदिर से निकालने की मांग की थी। इस मामले में मंदिर की समिति ने जांच बैठाई थी। जांच में पता चला कि आरोपी महिला की नियुक्ति 1986 में हुई थी। जांच में यह भी बताया गया कि उस वक्त मंदिर में गैर हिंदुओं को नौकरी पर रखने की मनाही नहीं थी, जो कि आरक्षण का नियम लागू करते हुए किया गया था।