भारत को चीन की एक और चुनौती, ग्‍वादर के नजदीक विदेश में दूसरा नेवल बेस बनाने जा रहा ड्रैगन

चीन दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अपनी सैन्‍य क्षमता को बढ़ाने की कोशिशों में जुटा है। इसी क्रम में चीन अफ्रीकी देश जिबूती के बाद अपने मित्र देश पाकिस्‍तान में दूसरा नेवल बेस बनाने की तैयारी में है। बीजिंग बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह के पास नया बेस बनाने की योजना बना रहा है। पाकिस्तान ने ऐसी खबरों को खारिज किया है, लेकिन चीनी सेना से जुड़े सूत्रों ने ग्‍वादर के पास नया नेवल बेस बनाने की पुष्टि की है। ‘चाइना मॉर्निंग पोस्‍ट’ में इस बाबत रिपोर्ट भी छपी है। चीन इस बेस के जरिये चीन समुद्री रास्तों पर अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहता है। बताया जाता है कि चीन ने जिस जगह को इसके लिए चुना है वह ईरान के चाबहार और बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से बेहद नजदीक है।

चाबहार बंदरगाह को भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसका मकसद अफगानिस्तान और भारत के बीच सीधा व्यापार करना है। चीन ने अफ्रीकी देश जिबूती के अलावा श्रीलंका के हंबानटोटा पोर्ट को भी 99 साल के लिए लीज पर ले रखा है। चीनी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट में बीजिंग स्थित सैन्‍य मामलों के विश्‍लेषक झाओ चेनमिंग ने पाकिस्‍तान में नेवल बेस बनाने की बात कही है। उनके मुताबिक, ग्‍वादर को असैन्‍य बंदरगाह में तब्‍दील किया जा चुका है, ऐसे में वहां युद्धपोत नहीं ले जाया जा सकता है। उन्‍होंने ग्‍वादर के समीप ही नया नेवल बेस बनाने की संभावना जताई है। मालूम हो कि इससे पहले एक अमेरिकी वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में चीन द्वारा पाकिस्‍तान में नेवल बेस बनाने का संकेत दिया था।

पाकिस्‍तान का इनकार: पाकिस्तान ने चीन द्वारा नेवल बेस बनाने की बातों को खारिज किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैजल ने कहा, ‘चीन की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर के विकास को बाधित करने के मकसद से ऐसी खबरें फैलाई जा रही हैं।’ पचास अरब डॉलर की लागत वाली सीपीईसी परियोजना चीन की महत्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह गुलाम कश्‍मीर से होकर गुजरती है। यह कॉरीडोर चीन को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से जोड़ेगी। फैजल ने इंटरसेप्‍टर मिसाइल विकसित करने का संकेत दिया है।

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