सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने चुनाव आयोग को बताया- AAP के चंदे के हिसाब में झोल!

चुनावी चंदे को लेकर दिल्‍ली में सत्‍तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने AAP के चुनावी चंदे में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। सीबीडीटी ने पार्टी द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए ब्‍योरे और वास्‍‍तविक चंदे में मेल नहीं होने की बात कही है। सूत्रों की मानें तो कर बोर्ड के अध्‍यक्ष सुशील चंद्रा ने इस बाबत 3 जनवरी को मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त एके जोति को पत्र लिखा था। बोर्ड ने वित्‍त वर्ष 2014-15 के आंकड़ों के बारे में आयोग को जानकारी दी है। इसमें पार्टी पर जनप्रतिनिधित्‍व कानून की धारा 29(सी) का उल्‍लंघन करने की बात भी कही गई है।

सीबीडीटी की आपत्ति सही साबित होने की स्थिति में AAP की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। धारा 29(सी) में राजनीतिक दलों के चुनावी चंदों से जुड़े प्रावधान हैं। इसके तहत 20 हजार रुपये से ज्‍यादा का चंदा मिलने की स्थिति में राजनीतिक दलों के लिए उसका ब्‍योरा देना अनिवार्य हो  जाता है। बता दें कि पिछले साल 27 नवंबर को आयकर विभाग ने AAP को नोटिस जारी किया था। उस वक्‍त पार्टी ने केंद्र पर विपक्षियों को कुचलने का आरोप लगाया था। अब सीबीडीटी ने पार्टी की फंडिंग पर सवाल उठाए हैं। आयकर विभाग की रिपोर्ट में AAP की कर योग्‍य आय 68.44 करोड़ रुपये (2015-2016) बताई गई थी। विभाग ने 30.67 करोड़ रुपये के कर के साथ AAP को नोटिस जारी किया था। सुशील चंद्रा द्वारा लिखे गए पत्र में AAP की आय (13.16 करोड़ रुपये) के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसमें चंदा देने वाले  लोगों, संगठनों और कंपनियों का ब्‍योरा भी शामिल है।

हवाला कनेक्‍शन: एसेसमेंट ऑर्डर में AAP पर 20 हजार रुपये से ज्‍यादा का चंदा देने वाले 450 दानदाताओं का विवरण नहीं देने का आरोप लगाया गया है। इनलोगों ने पार्टी को कुल मिलाकर 6.26 करोड़ रुपये का चंदा दिया था। इसके अलावा कथित तौर पर हवाला के जरिये दो करोड़ रुपये मिलने की बात भी कही गई है। इसके अलावा AAP पर वर्ष 2015 में 29.15 करोड़ रुपये के चंदे की जानकारी नहीं देने का भी आरोप लगाया गया है। आरोप साबित होने पर दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मालूम हो कि राजनीतिक दलों को चंदा देने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए जाने की लंबे समय से मांग की जा रही है, लेकिन इसके तौर-तरीकों पर सहमति नहीं बन सकी है।

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