सरकार के खिलाफ और आम जनता के हक में लिखती थीं गौरी लंकेश, कत्ल का शक हिंदू संगठनों पर
पत्रकार और एक्टिविस्ट गौरी लंकेश ने पिछले चौबीस घंटों में अपने ट्विटर और फेसबुक पर रोहिंग्या मुसलमानों, नोटबंदी के नुकसान, भारतीय अभिभावकों को समलैंगिकता के बारे में जागरूक करने वाले यूट्यूब वीडियो और केंद्र की नरेंद्र मोदी की आलोचना से जुड़े पोस्ट किए थे। मंगलवार (पांच सितंबर) रात करीब आठ बजे कुछ लोगों ने लंकेश की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी। उन्होंने अपने कन्नड़ साप्ताहिक पत्रिका में पिछले तीन महीनों में केंद्र सरकार और उसके नेताओं की आलोचना में कम से कम आठ लेख प्रकाशित किए थे। लंकेश ने अपने आखिरी साप्ताहिक स्तम्भ में गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बच्चों की मौत और डॉक्टर कफील खान को हटाए जाने के खिलाफ लिखा था।
सोशल मीडिया पर गौरी लंकेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार की आलोचना वाली पोस्ट लिखती थीं या शेयर करती थीं। पिछले कुछ दिनों में उन्होंने केरल के नौकरशाह जेम्स विल्सन के कई ट्वीट रीट्वीट किए थे। विल्सन नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी समेत अन्य नीतियों की अक्सर आलोचना करते हैं। पिछले चौबीस घंटे में गौरी लंकेश ने ज्यादातर विभिन्न खबरों के लिंक शेयर किए हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने के बाबत जवाबतलब करने की खबर का लिंक शेयर किया था। गौरी लंकेश का फेसबुक अकाउंट उनके ट्विटर अकाउंट से जुड़ा हुआ है इसलिए फेसबुक पर भी ज्यादातर उनके ट्विटर वाले पोस्ट ही हैं।
फेसबुक पर गौरी लंकेश के प्रोफाइल में दलित रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की तस्वीर है। ट्विटर पर उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ अपनी तस्वीर लगा रखी है। गोली मारे जाने से कुछ घंटे पहले गौरी लंकेश ने शिक्षक दिवस पर अपने पिता स्वर्गीय पी लंकेश की तस्वीर शेयर की थी और लिखा था, “अक्सर नामौजूद पिता लेकिन जिंदगी के एक शानदार शिक्षक- मेरे अप्पा!! हैप्पी टीचर्स डे।” बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ एक खबर करने के बाद गौरी लंकेश को मानहानि के मुकदमे में निचली अदालत में हार का सामना करना पड़ा था। उन्होंने फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील की थी। समाचार वेबसाइट न्यूजलॉन्ड्री को नवंबर 2016 में दिए इंटरव्यू में गौरी लंकेश ने कहा था, “जब मैं मेरे बारे में किए गए ट्वीट और कमेंट देखती हूं तो मुझे सुरक्षा की चिंता होती है….केवल अपनी निजी सुरक्षा की नहीं बल्कि आज पूरे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और चौथे खम्भे की आजादी की।”
हत्या के कारण और संदिग्धों की अभी तक पुलिस पहचान नहीं कर सकी है लेकिन कुछ लोग हिंदुत्ववादी संगठनों को इसके लिए जिम्मेदार बता रहे हैं। गौरी लंकेश की हत्या को करीब दो साल पहले 30 अगस्त 2015 को मारे गए कन्नड़ साहित्यकार एमएम कलबुर्गी की हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है।कलबुर्गी के अलावा तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या के पीछे भी हिंदुत्ववादी संगठनों पर आरोप लगते रहे हैं।