वर्चुअल आइडी और सीमित केवाइसी लागू
आधार के डेटा की सेंधमारी को लेकर रिजर्व बैंक की ओर से आशंका जताए जाने के एक दिन बाद ही बुधवार को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने गोपनीयता से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए ‘वर्चुअल आइडी’ पेश की है। इसके अलावा प्राधिकरण ने ‘सीमित केवाइसी’ की भी शुरुआत की है जिसके तहत किसी प्राधिकृत एजंसी को उपभोक्ता की सीमित जानकारी ही उपलब्ध हो पाती है। प्राधिकरण का दावा है कि दोस्तरीय इस ‘सुरक्षा घेरे’ के जरिए डेटा की सुरक्षा काफी हद तक सुनिश्चित की जा सकेगी। यह सुविधा एक मार्च से उपलब्ध होगी।
प्राधिकरण के एक परिपत्र के अनुसार, कोई भी आधार कार्डधारक प्राधिकरण की वेबसाइट पर जाकर अपना वर्चुअल आइडी (आभासी पहचान-पत्र) निकाल सकता है। इसके जरिए बिना आधार संख्या साझा किए सिम के सत्यापन समेत कई अन्य कार्य किए जा सकते हैं। वर्चुअल आइडी बायोमीट्रिक्स के साथ 16 अंकों वाली संख्या होगी। इस संख्या के जरिए मोबाइल कंपनी या किसी अन्य एजंसी को उपभोक्ता का नाम, पता व फोटो मिल जाएगा जो कि सत्यापन के लिए पर्याप्त है। कोई भी कार्डधारक कितनी भी वर्चुअल आइडी बना सकते हैं। नई वर्चुअल आइडी बनाते ही पुराना वाला स्वत: ही रद्द हो जाया करेगा।
वर्चुअल आइडी किसी भी व्यक्ति की आधार संख्या पर आधारित होगी। इसे एक मार्च 2018 से स्वीकार किया जाने लगेगा। सत्यापन के लिए आधार का इस्तेमाल करने वाली सभी एजंसियों के लिए वर्चुअल आइडी स्वीकृत करना एक जून 2018 से अनिवार्य हो जाएगा। इसका पालन नहीं करने वाली एजंसियों को आर्थिक दंड का सामना करना होगा। प्राधिकरण के परिपत्र के अनुसार, आधार कार्डधारक सत्यापन या केवाइसी सेवाओं के लिए आधार संख्या के बदले वर्चुअल आइडी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके जरिए वैसे ही सत्यापन किया जा सकता है जैसे आधार संख्या के जरिए किया जाता है।
प्राधिकरण ने यह कदम गोपनीयता बढ़ाने व आधार की जानकारियों को सुरक्षित रखने के लिए उठाया है। यह कदम ऐसे समय में उठा है जब लोगों की निजी व जनसांख्यिकीय आंकड़े जमा करने को लेकर चिंताएं उठने लगी हैं। इससे विभिन्न एजंसियों द्वारा आधार संख्या संग्रहीत करने में भी कमी आएगी। प्राधिकरण के अनुसार, सत्यापन करने वाली एजंसियां कार्डधारक के बदले वर्चुअल आइडी बनाने के लिए अधिकृत नहीं होंगे।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की रिसर्च एजंसी- इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में यह जताया था कि मोबाइल फोन, पैन कार्ड और बैंक खाते – सब कुछ आधार से जुड़ने के बाद साइबर अपराधियों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। उन्हें तमाम डेटा, तमाम गोपनीय बातें एक जगह मिल जाएंगी। डेटा पर किसी तरह की सेंध से भारतीय उद्योग, प्रशासन, सरकार के कामकाज, बैंक सब कुछ निशाने पर आ जाएगा। इस रिपोर्ट में कहा गया कि आधार जोड़ने के फायदे सीमित हैं, इससे खासतौर पर गरीबों को ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला। रिसर्च एजंसी ने ‘बायोमेट्रिक्स और भारत पर इसका असर’- शीर्षक से यह रिपोर्ट जारी की है।
क्या है वर्चुअल आइडी
’कोई भी आधार कार्डधारक प्राधिकरण की वेबसाइट पर जाकर वर्चुअल आइडी निकाल सकता है। इसके जरिए बिना आधार संख्या साझा किए सिम के सत्यापन समेत कई अन्य कार्य किए जा सकते हैं। ’वर्चुअल आइडी बायोमीट्रिक्स के साथ 16 अंकों वाली संख्या होगी। इसके जरिए मोबाइल कंपनी या किसी अन्य एजंसी को उपभोक्ता का नाम, पता व फोटो मिल जाएगा जो कि सत्यापन के लिए पर्याप्त है। ’कोई भी कार्डधारक कितनी भी वर्चुअल आइडी बना सकते हैं। नई वर्चुअल आइडी बनाते ही पुराना वाला स्वत: ही रद्द हो जाया करेगा।