कलबुर्गी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट का एनआइए और सीबीआइ को नोटिस

लेखक और तर्कवादी एमएम कलबुर्गी हत्याकांड की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित कराने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजंसी और केंद्रीय जांच ब्यूरो को नोटिस जारी किए। यह याचिका कलबुर्गी की पत्नी ने दायर की है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ के खंडपीठ ने इस याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजंसी और केंद्रीय जांच ब्यूरो के साथ ही महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार से भी जवाब मांगा है। इन सभी को छह हफ्ते के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं। कलबुर्गी की अगस्त 2015 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।

कलबुर्गी की पत्नी उमा देवी कलबुर्गी का आरोप है कि इस हत्याकांड की जांच में अभी तक कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उनके पति और बौद्धिक तर्कवादी नरेंद्र अच्युत दाभोलकर और गोविंदराव पानसरे की हत्या में बहुत अधिक समानता है। दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में ओर पानसरे की 16 फरवरी 2015 को कोल्हापुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कलबुर्गी की पत्नी ने याचिका में कहा है कि दाभोलकर और पानसरे हत्याकांड की जांच की प्रगति भी संतोषजनक नहीं है और हत्यारों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।

याचिका मे कहा गया है कि 2016 में कर्नाटक के तत्कालीन गृह मंत्री ने एक बयान में दावा किया था कि घटनास्थल से बरामद कारतूसों के फारेंसिक विश्लेषण से पता चलता है कि तीनों हत्याओं में परस्पर संबंध है। यह भी आरोप लगाया गया है कि पानसरे की हत्या में प्रयुक्त एक हथियार का इस्तेमाल कलबुर्गी की हत्या में भी इस्तेमाल हुआ था। इसलिए महाराष्ट्र और कर्नाटक पुलिस के अलावा सीबीआइ और एनआइए के बीच सामंजस्य की आवश्यकता है। हंपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और जाने-माने विद्वान कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को कर्नाटक के धारवाड़ के कल्याण नगर स्थित उनके आवास में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कालबुर्गी 77 वर्ष के थे।

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