प. बंगाल में बीजेपी ने किया मुसलमानों का सम्मेलन, खाली पड़ी रहीं कुर्सियां
पश्चिम बंगाल में पैर जमाने की कोशिश में जुटी भाजपा ने राज्य के मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश शुरू कर दी है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने गुरुवार (11 जनवरी) को मुस्लिम सम्मेलन का आयोजन किया था। पार्टी को सम्मेलन में बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोगों के जुटने की उम्मीद थी, लेकिन अधिकांश कुर्सियां खाली ही रह गईं। बीजेपी इसके जरिये अल्पसंख्यकों को अपनी ओर आकर्षित करने की उम्मीद लगाए बैठी थी। हालांकि, सम्मेलन में कुछ सौ लोग ही जुटे थे। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ब्राह्मणों को अपनी ओर करने के लिए ब्राह्मण सम्मेलन कर चुकी हैं।
भाजपा ने कोलकाता के मोहम्मद अली पार्क में अल्पसंख्यकों का जमावड़ा किया। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद को देखते हुए पार्टी समुदाय को अपनी ओर करने में जुटी है। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल राशिद अंसारी के साथ पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष और वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय भी मौजूद थे। राज्य में मुस्लिमों की अच्छी-खासी आबादी है, ऐसे में समुदाय राजनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण है। इसे देखते हुए वाम मोर्चा और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के बाद अब बीजेपी भी मुस्लिमों को रिझाने में जुट गई है। बीजेपी ने मुस्लिम सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय किया है, जब पश्चिम बंगाल में इसी साल पंचायत चुनाव होने हैं।
पंचायत चुनाव पर भी नजर: भाजपा पंचायत चुनावों के जरिये पश्चिम बंगाल में अपनी पैठ बढ़ाने में जुटी है। पार्टी को पता है कि पश्चिम बंगाल की सत्ता में आने के लिए मुस्लिम मतदाताओं का साथ जरूरी है। ऐसे में पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा अभी से समुदाय को रिझाने में पूरी तरह से जुट गया है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख अब्दुल राशिद ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि वाम दलों ने मुस्लिम मत के सहारे राज किया और अब तृणमूल भी यही कर रही है। इसके बावजूद राज्य में मुस्लिमों की हालत बेहद खराब है। समुदाय के लोग बेरोजगारी और गरीबी में जीने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी सिर्फ नारेबाजी नहीं करती है बल्कि सबका साथ और सबका विकास के मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। वहीं, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि मुसलमान कभी भी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे, क्योंकि उन्हें पता है कि प्रधानमंत्री का एकमात्र एजेंडा देश को धार्मिक और जाति के आधार पर बांटना है।