रेल भवन में फर्जी अफसरों ने लिया इंटरव्यू और सुरेश प्रभु हस्ताक्षर युक्त दिया जाली नियुक्ति पत्र
रेलवे ने एक ऐसे मामले की जांच शुरू की है जिसके बारे में जानकर आप भी दंग रह जाएंगे। अधिकारियों का मानना है कि रेल भवन में फर्जी अफसरों द्वारा जॉब इंटरव्यू लिए गए और फिर जाली नियुक्ति पत्र दिए गए जिस पर पूर्व रेल मंत्री सुरेश प्रभु के दस्तखत मौजूद हैं। यह नियुक्ति पत्र टिकट कलेक्टर पदों के लिए दिए गए थे। अधिकारियों ने बताया कि इसी महीने 7 लोग दिल्ली डिविजन मुख्यालय पर पर्सनल ऑफिसर से मुलाकात कर ड्यूटी जॉइन करने आए थे। उन्हें डाक के जरिए जाली नियुक्ति पत्र मिले थे जिसके बाद वे दिल्ली डिविजन मुख्यालय पर पहुंचे थे। इस घटना के बाद मामले की जांच शुरू हो गई है। एक नियुक्ति पत्र पर लिखा हुआ था, “इस बात की सूचना देते हुए हमें प्रसन्नता हो रही है कि आपको टिकट कलेक्टर पद के लिए चुन लिया गया है।” गत वर्ष फरीदाबाद के रहने वाले राज कुमार ने ऐसे ही एक मामले की शिकायत की थी। कुमार ने मामले की शिकायत रेलवे को की और पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
एफआईआर के मुताबिक कुमार ने टिकट कलेक्टर की नौकरी पाने के लिए भूषण शर्मा (जिसने रेल भवन पर इंटरव्यू कराया था) को 5 लाख रुपये दिए थे।कुमार के मुताबिक, उसका इंटरव्यू रेलवे बोर्ड रूम में सात महीने पहले लिया गया था। एफआईआर दर्ज कराने के बाद ही रेलवे ने जांच शुरू करने का फैसला लिया। दिल्ली पुलिस के अफसरों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रेल भवन के जिस कमरा नंबर 9 में इंटरव्यू लिया गया वहां पर कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था और इसीलिए कोई फुटेज नहीं है। कमरा नंबर 9 रिसेप्शन एरिया के पास स्थित है और जांच अधिकारी अब वहीं की सीसीटीवी फुटेज हासिल करने में जुट गए हैं।
एक रेलवे अधिकारी ने बताया कि शिकायतकर्ता का पक्ष भी सत्यापित करने की जरूर है। कुमार के फर्जी प्रमाण पत्र पर ‘राजेश गुप्ता’ नाम दर्ज है जिसे कथित रूप से रेलवे का एक अधिकारी बताया गया है। मामले को लेकर अन्य 7 लोगों ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है। रेलवे जांच अधिकारियों ने इस रैकेट को ‘संगठित रूप’ से काम करने वाला बताया है। रैकेट के शिकार बने दो लोगों ने जो फर्जी ड्यूटी पास दिखाए थे वे दिखने में किसी असली ‘ड्यूटी पास’ जैसे ही लगते थे। फिलहाल मामले की जांच अभी जारी है।