पहली बार मीडिया के सामने आए सुप्रीम कोर्ट के चार जज, बोले- अगर सुप्रीम कोर्ट को बचाया नहीं गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा

सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जस्टिस देश के इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए, और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है, और यदि संस्था को ठीक नहीं किया गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा. उधर सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने जो मीडिया में बयान दिया है उससे सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायधीश सहमत नहीं हैं. उनके अनुसार सुप्रीम कोर्ट में सभी केस को समान रूप से महत्‍व दिया जाता है और इसका वितरण भी बिना किसी भेदभाव के किया जाता है. हमारे लिए सभी जज समान है और मैं सभी का स्‍वतंत्र रूप से सम्‍मान करता हूं.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर ने जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के साथ मीडिया से कहा, हम चारों मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं. किसी भी देश के कानून के इतिहास में यह बहुत बड़ा दिन, अभूतपूर्व घटना है, क्‍योंकि हमें यह ब्रीफिंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. उन्‍होंने कहा कि हमने यह प्रेस कॉन्‍फ्रेंस इसलिए की, ताकि हमें कोई यह न कह सके कि हमने आत्मा को बेच दिया है.

जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर ने कहा कि SC में बहुत कुछ ऐसा हुआ है, जो नहीं होना चाहिए था. हमें लगा, हमारी संस्था और देश के प्रति जवाबदेही है और हमने CJI को सुधारात्मक कदम उठाने के लिए मनाने की कोशिश की, और उन्हें खत भी लिखा, लेकिन हमारे प्रयास नाकाम रहे. जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने दावा किया कि अगर संस्था को नहीं बचाया गया, तो देश में लोकतंत्र खत्‍म हो जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों ने भी कहा कि CJI को सुधारात्मक कदम उठाने के लिए मनाने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे प्रयास विफल रहे. उन्‍होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में प्रशासन सही तरीके से नहीं चल रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखी गई चिट्ठी के मुख्य अंश…

  • चीफ जस्टिस उस परंपरा से बाहर जा रहे हैं, जिसके तहत महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय सामूहिक तौर पर लिए जाते रहे हैं.
  • चीफ जस्टिस केसों के बंटवारे में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.
  • वे महत्वपूर्ण मामले, जो सुप्रीम कोर्ट की अखंडता को प्रभावित करते हैं, चीफ जस्टिस उन्हें बिना किसी वाजिब कारण के उन बेंचों को सौंप देते हैं, जो चीफ जस्टिस की प्रेफेरेंस (पसंद) की हैं.
  • इससे संस्थान की छवि बिगड़ी है.
  • हम ज़्यादा केसों का हवाला नहीं दे रहे हैं.
  • सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उतराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश भेजी है.
  • जस्टिस केएम जोसफ ने ही हाईकोर्ट में रहते हुए 21 अप्रैल, 2016 को उतराखंड में हरीश रावत की सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को रद्द किया था, जबकि इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में सीधे जज बनने वाली पहली महिला जज होंगी, जबकि सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल जस्टिस आर भानुमति के बाद वह दूसरी महिला जज होंगी.
  • सुप्रीम कोर्ट में तय 31 पदों में से फिलहाल 25 जज हैं, यानी जजों के 6 पद खाली हैं.

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