Principal Secretary to PM, Nripendra Misra, seen outside Chief Justice of India Dipak Misra’s residence in Delhi.
सुप्रीम कोर्ट: CJI से मिलने पहुंचे पीएम मोदी के प्रमुख सचिव, मगर नहीं मिला अपॉइंटमेंट
सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मोदी सरकार की तरफ से इसे न्यायपालिका का मामला बताया गया, लेकिन प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्रा शनिवार (13 जनवरी) को जस्टिस दीपक मिश्रा से मिलने उनके आवास पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नृपेंद्र मिश्रा को मुख्य न्यायाधीश से बिना मुलाकात के ही लौटना पड़ा, उन्हें उनसे मिलने के लिए अपॉइंटमेंट ही नहीं मिला। शुक्रवार (12 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमराव और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीजेआई दीपक मिश्रा और शीर्ष अदालत के कामकाज को लेकर सवाल उठाए थे। जजो ने वह चिट्ठी भी सार्वजनिक की थी जिसे उन्होंने सीजेआई को भेजा था। जजों ने कहा था कि वे चारों इस बात पर सहमत हैं कि अगर संस्थान को नहीं बचाया तो लोकतंत्र जिंदा नहीं रह पाएगा। यह पहली घटना है जब सुप्रीम कोर्ट के जजों को मीडिया के सामने आकर शीर्ष अदालत को लेकर ये बातें कहीं।
इस प्रकरण के बाद सियासत ने भी मामले में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में देर नहीं लगाई। सीपीआई नेता डी राजा शुक्रवार को जस्टिस चेलामेश्वर से मिलने पहुंचे तो बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी चारों जजों के पक्ष में खड़े नजर आए। स्वामी ने चारों जजों को ईमानदार और लोकतंत्र का हितैषी करार दिया। वहीं बीजेपी नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी एक के बाद एक कई ट्वीट कर चारों जजों का समर्थन किया। यशवंत सिन्हा ने लिखा कि लोगों जजों की आलोचना करने के बजाय उन मुद्दों पर सोचना चाहिए जो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए। हालांकि केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से यही कहा गया कि यह न्यायपालिका का मामला है और वही इसे देखेगी, लेकिन प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव का सीजेआई के आवास पर पहुंचना बताता है कि सरकार के भीतर इस वाकये के बाद से सामान्य स्थिति नहीं है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी शुक्रवार को इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट किया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जजों के सवालों को बेहद गंभीर और संवेदनशील बताया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने जज लोया की मौत का मामला भी उठाया और कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे कांग्रेस का न्यायपालिका के अंदरूनी विषय को सड़क पर लाने का प्रयास बताया। उन्होंने कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया।