बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं : न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ

सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों के संवाददाता सम्मेलन कर प्रधान न्यायाधीश पर गंभीर आरोप लगाने के अभूतपूर्व कदम से उपजे विवाद को निपटाने के लिए शनिवार को विभिन्न स्तरों पर कवायद जारी रही। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं के संगठनों, बार काउंसिल आॅफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने शनिवार को अलग-अलग आपात बैठकें कर प्रस्ताव पारित किए और इस बात पर लगभग आम राय रही कि विवाद में किसी बाहरी दखल की कोई गुंजाइश नहीं है और इसे आपस में ही सुलझाया जाएगा।  बार काउंसिल आॅफ इंडिया (बीसीआइ) ने राजनीतिक दलों और नेताओं को चेताया कि वे स्थिति का ‘अनुचित फायदा’ नहीं उठाएं। बीसीआइ ने शनिवार शाम अपनी आपात बैठक के बाद कहा कि प्रधान न्यायाधीश के साथ मतभेदों को लेकर चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की प्रेस कॉन्फ्रेंस से राजनीतिक दलों और नेताओं को न्यायपालिका के मामलों में दखलअंदाजी करने का मौका मिल गया है। किसी का नाम लिए बिना बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल या नेता को प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पैदा हुई स्थिति का अनुचित फायदा नहीं उठाना चाहिए। बयान में राजनीतिक दलों और नेताओं का संदर्भ महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने श्ुक्रवार को इस प्रकरण के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था।

बार काउंसिल ने सात सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल गठित किया है, जो सुप्रीम कोर्ट के जजों से मिलेगा। बीसीआइ की 17 सदस्यीय संचालन समिति की ओर से बुलाई गई आपात बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि सात सदस्यीय समिति वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट के अन्य सभी न्यायाधीशों से रविवार को मुलाकात करेगी। हालांकि मिश्रा ने बाद में स्पष्ट किया कि समिति के सदस्य बाद में प्रधान न्यायाधीश और प्रेस वार्ता बुलाने वाले चार न्यायाधीशों से भी मुलाकात करेंगे। बीसीआइ के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने सरकार के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें कहा गया है कि वह इस मामले में दखल नहीं देगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अधिकांश जजों ने मुलाकात का समय दे दिया है और ये लोग रविवार सुबह नौ बजे से जजों से मिलना शुरू कर देंगे। मिश्रा ने कहा कि हम बार की भावना से जजों को अवगत कराएंगे और उनसे आग्रह करेंगे कि मसले का शांतिपूर्ण और जल्द से जल्द निपटारा करें।

दूसरी ओर, बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित कर कहा है कि वरिष्ठ जजों के बीच मतभेद पर शीर्ष अदालत की पूर्ण पीठ विचार करे। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्रा के आवास के बाहर कार में बैठे देखा गया। समाचार एजंसियों द्वारा वीडियो और फोटो जारी किए जाने के बाद नृपेंद्र मिश्रा ने एक समाचार चैनल पर स्पष्ट किया कि वे मुख्य न्यायाधीश को नए साल का ग्रीटिंग कार्ड देने गए थे। उनका सहायक कार से उतरा को बंगले में स्थित कैंप आॅफिस जाकर कार्ड दे आया। उधर, संवाददाता सम्मेलन करने वाले जजों और प्रधान न्यायाधीश के बीच शनिवार को मुलाकात होने की बातें कही जा रही थीं। लेकिन जस्टिस जे चेलामेश्वर के दफ्तर ने बताया कि उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले बाकी के तीन जज दिल्ली से बाहर हैं। ऐसे में जस्टिस चेलामेश्वर अकेले सीजेआइ से मिलने को इच्छुक नहीं हैं और यह मुलाकात रविवार शाम को हो सकती है। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी इस तरह के संकेत दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित किया है कि सीजेआइ के साथ चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के मतभेद पर शीर्ष अदालत की पूर्ण पीठ विचार करे। बार एसोसिएशन ने कहा कि सभी जनहित याचिकाओं पर सीजेआइ या कॉलिजियम में वरिष्ठ न्यायाधीशों को विचार करना चाहिए। सोमवार को जो जनहित याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं, उन्हें भी सीजेआइ या कॉलिजियम के सदस्यों की अध्यक्षता वाले पीठों को सौंपा जाना चाहिए। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम इन घटनाक्रमों पर बातचीत के लिए सीजेआइ और अन्य न्यायाधीशों से मुलाकात के लिए समय मांगेंगे। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स आॅन रिकार्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) की कार्यकारी समिति ने न्यायाधीशों से अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से और संवैधानिक ढांचे के अंदर सुलझाने का अनुरोध किया है। एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव में कहा कि वह इस घटनाक्रम से दुखी है और उसे लगता है कि इससे शीर्ष न्यायालय की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।

सुप्रीम संकट दूर करने की कवायद

प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों में एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने शनिवार को कहा कि समस्या के समाधान के लिए बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। उनके और तीन अन्य न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन के एक दिन बाद जोसेफ ने भरोसा जताया कि उन्होंने जो मुद्दे उठाए हैं उनका समाधान होगा। न्यायमूर्ति कुरियन ने कहा कि एक मुद्दा उठाया गया है। संबंधित लोगों ने इसे सुना है। इस तरह के कदम भविष्य में नहीं दिखेंगे। इसलिए (मेरा) मानना है कि मुद्दा सुलझ गया है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामले के समाधान में बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत है तो उन्होंने कहा, ‘मामले को हल करने के लिए बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह मामला संस्था के भीतर हुआ है। इसे बाकी हल करने के लिए संस्था की ओर से जरूरी कदम उठाए जाएंगे।’ न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि मामले को राष्ट्रपति के संज्ञान में नहीं लाया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट या इसके न्यायाधीशों को लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है।

उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश की तरफ से कोई संवैधानिक खामी नहीं है, लेकिन उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए परंपरा, चलन और प्रक्रिया का अनुसरण किया जाना चाहिए। उन्होंने यहां एक समारोह से इतर कहा, ‘हम सिर्फ मामले को उनके संज्ञान में लाए हैं।’ न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि न्यापालिका और न्याय के हित में न्यायाधीशों ने धीरे-धीरे कदम उठाया। इससे पहले, स्थानीय चैनलों ने जब उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए यहां के निकट कलाडी में उनके पैतृक घर का रुख किया तो न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘न्याय और न्यायपालिका के पक्ष में खड़े हुए। यही चीज शुक्रवार को वहां (नई दिल्ली में) हमने कही।’ उन्होंने कहा कि एक मुद्दे की ओर ध्यान गया है। ध्यान में आने पर निश्चित तौर पर यह मुद्दा सुलझ जाएगा। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों ने न्यायपालिका में लोगों का भरोसा जीतने के लिए यह किया।

कोई संकट नहीं है : गोगोई
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने शनिवार को कोलकाता में कहा कि ‘कोई संकट नहीं है।’ यह पूछे जाने पर कि उनका कृत्य क्या अनुशासन का उल्लंघन है, गोगोई ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि ‘मुझे लखनऊ के लिए एक उड़ान पकड़नी है। मैं बात नहीं कर सकता।’

जल्द थम जाएगा विवाद : वेणुगोपाल
भारत के महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर शुरू हुआ विवाद जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी जज बड़ा दिल दिखाते हुए सद्भाव रखेंगे। प्रधान न्यायाधीश समेत सभी यही चाहते हैं। हमें उम्मीद है संस्थान के हित में पूरे मामले को सुलझा लिया जाएगा। उम्मीद है कि जज इस मामले को आगे नहीं बढ़ने देंगे। सुप्रीम कोर्ट के सभी जज बुद्धिमान, अनुभवी और स्टेट्समैन हैं।

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