Google Doodle Mahasweta Devi’s 92nd Birthday: लेखन के बाद महाश्वेता देवी ने समाजसेवा से बटोरा नाम
Mahasweta Devi Google Doodle: आधुनिक भारत के महान लेखकों में से एक महाश्वेता देवी का आज यानि रविवार को 92वां जन्मदिन है। समाज के लोगों के हित में काम करने वाली महाश्वेता देवी को श्रद्धांजलि देने के लिए गूगल ने उनका डूडल बनाया है। इस डूडल में महाश्वेता देवी के हाथ में एक पुस्तिका और कलम हैं जिसस वे कुछ लिखती हुई दिखाई दे रही हैं। इसके अलावा उनके पीछे अलग-अलग परिभेष वाले लोगों को भी दर्शाया गया है। बता दें कि महाश्वेता देवी ने आदिवासी और ग्रामीण लोगों के हक में आवाज उठाई थी। लोगों के हक के लिए लड़कर महाश्वेता देवी ने खूब नाम कमाया था। महाश्वेता देवी का जन्म बांग्लादेश के ढाका में 1926 में हुआ था।
महाश्वेता देवी के पिता मनीष घटक एक बहुत ही महान कवि और काल्लोल आंदोलन के उपन्यासकार थे। उनकी माता भी एक लेखिका थीं और समाजसेवा भी करती थीं। लेखन की विद्या उन्हें अपने माता-पिता से विरासत में मिली थी। महाश्वेता ने करीब 100 अपन्यास लिखे थे और 20 छोटी कहानियों का संग्रह भी था जो कि उन्होंने बंगाली भाषा में लिखी थीं। उन्होंने अपना सबसे पहला उपन्यास रानी की झांसी लक्ष्मी बाई के जीवन पर लिखा था। इस उपन्यास का नाम झांसी रानी था, जो कि 1956 में पब्लिश हुआ था। वे केवल एक लेखिका ही नहीं, एक शिक्षिका भी थीं। 1964 में उन्होंने कोलकाता के जाधवपुर में के एक कॉलेज में पढ़ाना शुरु किया था। इसके अलावा उन्होंने पत्रकारिता में भी हाथ अजमाया हुआ है।
रानी की झांसी के जीवन पर लिखे गए उपन्यास के अलावा उन्होंने कई मशहूर उपन्यास लिखे, जिनमें ‘हजार चौरासी मां’, ‘अरंयर अधिकार’, ‘अग्निगर्भ’, ‘रुदाली’, ‘संघर्ष’ जैसे उपन्यास शामिल हैं। महाश्वेता देवी के कई उपन्यासों पर फिल्में भी बन चुकी हैं जिनमें ‘रुदाली’, ‘संघर्ष’, ‘लायली असमानेर आयना’, जैसी कहानियां प्रमुख हैं। लेखन के अलावा वे समाजसेवा में काफी सक्रिय रही थीं। भारत में आदिवासी लोगों के साथ होते भेदभाव के लिए वे अक्सर अपनी आवाज उठाती थीं। झारखंड राज्य सरकार ने जून, 2016 में देवी की सक्रियता पर उल्लेखनीय जनजातीय नेता बिरसा मुंडा की मूर्ति को मुक्त किया था। इस मूर्ति में मुंडा को जंजीरों से जकड़ा हुआ दिखाया गया है जिसकी उस समय की ब्रिटिश सरकार ने फोटों खिंचवा दी थी। महाश्वेता देवी के उपन्यास ‘अरंयर अधिकार’ मुंडा की जिंदगी पर आधारित है।
इतना ही नहीं महाश्वेता देवी ने तत्कालीन पश्चिम बंगाल की सीपीआई सरकार की इंडस्ट्रियल पोलिसी के खिलाफ अभियान की अगुवाई भी की थी। 23 जुलाई, 2016 को महाश्वेता देवी को हार्ट अटैक आया जिसके बाद उन्हें कोलकाता के बेले व्यू क्लिनिक में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में पांच दिनों तक जिंदगी से जूझती महाश्वेता देवी ने 28 जून, 2016 को दम तोड़ दिया। उनकी मौत पर कई राजनेताओं ने दुख जताया था जिनमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। महाश्वेता देवी को उनके लेखन और समाजिक कार्यों के लिए उन्हें पद्मश्री, साहित्य अकेडमी अवॉर्ड, रैमन मैगसेसे अवॉर्ड, पद्मविभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।