मौनी अमावस्या 2018: इस दिन स्नान करने से मिलता है अमृत के समान पुण्य, जानिए इसका महत्व

मौनी अमावस्या का पर्व इस साल 16 जनवरी बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन मौन रहकर महाव्रत किया जाता है। मौनी शब्द की व्युत्पत्ति मनि शब्द से हुई है। कहा जाता है इस दिन मौन रहकर व्रत करने और गंगा या यमुना में स्नान करने से मुनि पद की प्राप्ति होती है। बुधवार को चंद्र दर्शन नहीं होने से मन कमजोर हो सकता है। चंद्रमा मन का स्वामी होता है इसलिए इस दिन कुछ भी बोलने से बचें और मौन रहें। शास्त्रों में माघ माह की मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है इस दिन समुद्र मंथन से धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।

अमृत कलश पाने के लिए असुरों और देवों के बीच खीचांतानी में अमृत की कुछ बूंदे छलक कर प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा गिरी। इसलिए कहा जाता है मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है इस दिन पवित्र संगम में 33 करोड़ देवताओं का निवास होता है। इसलिए माघ महीने में स्नान करने से अमृत के समान पुण्य मिलता है।

इस दिन हर, हरि और अश्वत के पूजा का विधान होता है। इससे पितृदोष से छुटकारा मिलता है। साथ ही किसी अनहोनी से बचाव होता है। जो लोग संगम स्नान की इच्छा रखते हैं और वह नहीं कर पाते उनको शुभ मुहूर्त पर घर में पूजन करना चाहिए साथ ही गंगा जल से घर का शुद्धिकरण करना चाहिए। इससे अमृत स्नान का पुण्य मिलता है।

पूजा विधि – मौनी अमवस्या के दिन प्रात: काल उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा संभव नहीं हो सके तो घर पर नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल डालकर नहाएं। स्नान करते समय शिवजी और भगवान विष्णु का ध्यान करें। स्नान के बाद पूजा-पाठ करें और दान दें। इस दिन किसी जरुरतमंद को भोजन, वस्त्र, धन आदि का दान करें। साथ ही गाय को गुड़ खिलाएं।

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