झारखंड में ‘भूख’ से मर गई विधवा, आरोप-प्रशासन ने घर में अनाज रखवा बनवाया वीडियो

पति की मौत के बाद गरीब विधवा महिला जंगल से पत्ते चुनकर दोना बनाती थी फिर उससे जो कुछ पैसे मिलते थे खुद और इकलौते बेटे का पेट पाल रही थी। घर में न राशन कार्ड और न आधार कार्ड रहा। गरीबी ने दाने-दाने को मोहताज कर दिया। हालत इस कदर खराब हुई कि बच्चे के स्कूल में जाकर मिड-डे-मील खाकर गुजारा करने की नौबत आ गई। इस बीच बीमारी ने घर में कैद कर दिया तो तो तीन दिन भूखे रहना पड़ा। भूख से लड़ते हुए आखिरकार महिला ने दम तोड़ दिया। पिता के बाद मां की भी मौत से बेटा लावारिस हो गया। जी हां, झारखंड में भुखमरी की एक और दर्दनाक घटना के पीछे यही कहानी सामने आई है। जिससे ठंड के इस मौसम में भी सियासत भी गरमा गई है।भाजपा की राज्य सरकार पर विपक्ष हमलावर है। वहीं माले विधायक राजकुमार यादव ने इस घटना को विधानसभा में उठाने की बात कही है।

भुखमरी से कथित मौत की यह घटना झारखंड के गिरिडीह जिले की है। जिला मुख्यालय से सौ किलोमीटर दूर सेवाटांड़ गांव पड़ता है। यहां बुधनी सोरेन नामक आदिवासी महिला की मौत सामने आई है। माले विधायक राजकुमार यादव ने साफ कहा कि- ‘‘‘मैं संतोषी कुमारी और बैजनाथ महतो के मामले की तरह इसको भी विधानसभा में उठाऊंगा। हमेशा की तरह प्रशासन जान-बूझकर पर्दा डाल रहा है। आखिर प्रशासन भुखमरी से मौत का मामला सामने आने पर शव का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराता ? ” गांववालों के मुताबिक महिला के घर राशन नहीं था, पेट भरने के लिए वह प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले अपने बच्चे के स्कूल जाती थी। जहां मिड-डे-मील से किसी तरह पेट भरती थी।

प्रथम मुख्यमंत्री के जिले में हुई घटनाः झारखंज के गिरिडीह जिले की पहचान बाबूलाल मरांडी से जुड़ी है। जो सूबे के पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं और झारखंड विकास मोर्चा के नेता हैं। इसी जिले में आदिवासी महिला बुधनी की भुखमरी से मौत की बात कही जा रही। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बुधनी को तीन दिन से भोजन नहीं मिला था। वह जंगल से पत्ते चुनकर दोना बनाती थी। कुछ दिनों पहले ठंड से बीमार हुई तो घर में ही पड़ी रही। पड़ोसियों का कहना है कि उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि नहीं था। जिससे वह राशन का जुगाड़ कर पाती। वहीं गांव के लोगों के मुताबिक उसे इंदिरा आवास मिला जरूर मगर उसकी कुछ किश्त किसी दूसरे व्यक्ति ने उठा ली। जिससे आवास पर छत नहीं लगी। गांव के मुखिया बालेश्वर राय ने कहा- ‘‘ पता चला है कि महिला की मौत भूख से हुई। अगर मुझे समय से जानकारी मिल जाती तो मैं कुछ कर सकता था।”

प्रशासन ने कहा-भूख से नहीं हुई मौतः एसडीएम रविशंकर विद्यार्थी ने स्थानीय पत्रकारों से बातचीत में भुखमरी से मौत की घटना से इन्कार किया है। कहा है कि-‘‘ जांच में बुधनी के घर चावल और आलू मिले हैं।” वहीं गांव वालों का कहना है कि महिला की मौत के बाद उसके घर अनाज प्रशासन ने रखवाकर वीडियो बनवाया। विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि हमेशा प्रशासन भुखमरी से मौतों पर इसी तरह बहाना बनाता है।

बता दें कि इससे पहले अक्टूबर 2017 में 11 वर्षीय संतोष कुमारी की भुखमरी से कथित मौत की घटना राष्ट्रीय सुर्खियों में रही थी। खबरों में आया था कि राशन कार्ड का आधार लिंक न होने से परिवार को राशन नहीं मिल रहा था। जिसकी वजह से बच्ची भुखमरी का शिकार हो गई। मां ने कहा था कि-मेरी बच्ची…भात…भात…कहते मर गई। झारखंड में अब तक भूख से पांच मौतें होने की बात कही जा रही। हालांकि भाजपा सरकार इसे झूठा करार देती है।

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