दुनिया को कैसे मिला @ सिंबल? पढ़ें कागज से कीबोर्ड पर आने का सफर
@ (ऐट द रेट) का साइन तो आपने देखा ही होगा। जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल भी किया होगा, लेकिन ज्यादातर लोग इसके बारे में सही से नहीं जानते हैं। लोगों को इसक ऑफीशियल नाम तक मालूम नहीं होता है। ई-मेल और सोशल मीडिया पर हमारा रोज इससे सामना होता है। फिर भी लोग इससे अनजान रह जाते हैं। आइए बताते हैं आपको इस चिह्न से जुड़ी रोचक बातें।
आमतौर पर @ को ऐट द रेट या ऐट से जाना जाता है, मगर इसका असल नाम एस्परैंड (Asperand) है। कुछ जगहों पर लोग इसे ऐंपरसैट (Ampersat) के रूप में जानते हैं।
ऐट द रेट के चिह्न को वेल्श (इंग्लैंड में वेल्स की भाषा) में कई बार इसे स्नेल (घोंघा) बताया जाता है। हंगरी में इसे कीड़ा माना जाता है। हेब्रेयू (इजराइल में बोली जाने वाली भाषा) में यह स्ट्रुडेल (एक किस्म की पेस्ट्री) होता है।
उत्तरी जर्मनी की जनजाति डेन्स (अब डेनमार्क में आती है) में इसे हाथी की सूंड के तौर पर देखा जाता है। तुर्की में कुछ शायर इसकी तुलना चांद के कान से करते हैं।
ऐट द रेट का सबसे पहले इस्तेमाल साल 1345 में हुआ था। यह ‘द मानासैस क्रॉनिकल’ के जरिए सामने आया था। @ चिह्न तब अमीन शब्द का पहला अक्षर था।
16वीं सदी के आसपास यूरोप के दक्षिण हिस्सों में होने वाले व्यापार से जुड़े दस्तावेजों की मानें तो यह चिह्न एंपोरा के लिए इस्तेमाल किया जाता था। रोमन काल में एंपोरा एक खास किस्म का जार (बर्तन) होता था, जिसे सामान रखने के लिए लोग इस्तेमाल करते थे।
18वीं शताब्दी आते-आते यह A के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। लोग इसे तब इसे प्रत्येक दर (at the rate of) के तौर पर इस्तेमाल करते थे।
1889 में यह चिह्न टाइपराइटर पर भी आ गया। इसके बाद यह स्टैंडर्ड कैरेक्टर बन गया। फिर 1963 में @ को अंतराष्ट्रीय कैरेक्टर सेट में शामिल किया।
1971 में कंप्यूटर प्रोग्रामर और ई-मेल के जन्मदाता रे टॉमलिंसन अर्पानेट पर काम कर रहे थे, जो कि इंटरनेट का प्रोटोटाइप था। उन्होंने इस दौरान प्रोग्राम में अपना कोई कोड डाला, जिससे एक कंप्यूटर से दूसरे पर पहला मेल भेजा गया था।
रे को तब एक खास कैरेक्टर की जरूरत पड़ी थी, ताकि संदेश भेजने वाले और पाने वाले के बीच फर्क किया जा सके। अपने टेलीटाइप कीबोर्ड पर उन्होंने @ चिह्न को चुना, जहां से इसका विकास हुआ।