ठाणे जिला परिषद चुनाव में शिवसेना ने एनसीपी से मिलाया हाथ, नही गई बीजेपी के साथ

महाराष्ट्र के ठाणे में 53 में से 26 जिला परिषद की सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद शिव सेना ने सोमवार को एनसीपी के साथ गठबंधन कर लिया है साथ ही निर्विरोध अध्यक्ष पद पर भी कब्जा जमा लिया है। शिवसेना के उम्मीदवार मंजुशा जाधव को अध्यक्ष पद मिला तो वहीं एनसीपी के सुभाष पवार को डिप्टी प्रेसिडेंट का पद दिया गया है। दिसंबर में हुए जिला परिषद के इन चुनावों में शिव सेना ने जहां 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के हाथ केवल 14 सीटें लगीं। एनसीपी ने 10 और कांग्रेस ने मात्र एक सीट पर जीत दर्ज की थी। इन चुनावों में एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में भी गई थी।.

अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने के बाद ऐसा पहली बार होगा कि शिव सेना ठाणे जिला परिषद की सत्ता संभालेगी। शिव सेना नेताओं ने कहा कि स्थानीय नेताओं ने एनसीपी के साथ गठबंधन कर तालुका की कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। यह सच है कि एनसीपी के साथ गठबंधन किया गया है लेकिन यह केवल स्थानीय फैसला है। इस बारे में जब सेना के मंत्री और नेता एकनाथ शिंदे से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। शिव सेना के अलावा एनसीपी ने भी यह बात कही है कि यह फैसला केवल स्थानीय नेताओं का था और इसका असर राज्य की राजनीति पर कतई नहीं पड़ेगा।

एनसीपी के चीफ प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा “स्थानीय नेताओं को स्वतंत्र होकर फैसला लेने की इजाजत दी गई है ताकि वे बीजेपी को सत्ता से हटाने का काम जारी रख सकें।” एक तरफ शिव सेना और एनसीपी ने ठाणे जिला परिषद के लिए गठबंधन किया तो वहीं दूसरी ओर हमेशा एक दूसरे के खिलाफ रहने वाली बीजेपी और कांग्रेस ने गोंडिया जिला परिषद के लिए गठबंधन किया। अध्यक्ष पद की सीट कांग्रेस के खाते में गई जबकि बीजेपी उम्मीदवार को डिप्टी प्रेसिडेंट का पद मिला। गोंडिया जिला परिषद में एनसीपी ने 20 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस 17 और बीजेपी को 16 सीट मिलीं।

कांग्रेस-बीजेपी गठबंधन पर बात करते हुए एनसीपी के स्टेट प्रेसिडेंट सुनील टाटकरे ने कहा “हमने पिछले चार दिनों में कई बार कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कोशिश की और हम कोई भी पद देने के लिए तैयार थे। बीजेपी से गठबंधन के बाद कांग्रेस का भी सफाया होना चाहिए।” वहीं कांग्रेस ने कहा स्थानीय स्तर पर एनसीपी और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच काफी मतभेद चल रहे थे। महाराष्ट्र कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी सचिन सावंत ने कहा “पार्टी को इस मामले की कई रिपोर्ट मिली थीं, जिसके बाद यह फैसला लिया गया।”

 

 

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