210 मिनट तक ह्रदय को रोकने के बाद 8 घंटे तक की अनोखी सर्जरी, तब बचाई मरीज की जान
सेक्टर- 27 के अस्पताल ने 44 वर्षीय व्यक्ति की जिंदगी अनूठी शल्य चिकित्सा के जरिए बचाने का दावा किया है। करीब 8 घंटों तक चली शल्य चिकित्सा में रोगी के ह्रदय को 210 मिनट तक रोका गया। जिससे शरीर का तापमान 25 डिग्री तक पहुंच गया। शल्य चिकित्सा के दौरान ह्रदय के रक्त प्रवाह को ह्रदय लंग मशीन से स्थानांतरित किया। डाक्टरों के मुताबिक इस तरह की बीमारी एक लाख व्यक्तियों में 1-2 को होती है। यदि महाधमनी (असेंडिंग अरोटा) फट जाती तो अत्यंत रक्त बहाव से रोगी की मृत्यु हो जाती।
कैलाश अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता सीटीवीएस एवं मुख्य कार्डियो थोरैसिस सर्जन डॉ. सतीश मैथ्यु ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि 18 दिसंबर को 44 वर्षीय नंद किशोर को छात में असहनीय दर्द की शिकायत पर आईसीयू में भर्ती किया गया था। जांच में पता चला कि रोगी की महाधमनी का व्यास 7 सेंटीमीटर तक पहुंच गया और भीतरी सतह फटकर रक्त स्त्राव पेडीकर्डियम तक पहुंच चुका था। इसके अलावा रोगी की महाधमनी 2 परतों में जन्मजात ही दोषपूर्ण थी। जिस वजह से ह्रदय की महाधमनी में रक्त संचालन अवरुद्ध हो रहा था। उन्होंने बताया कि 8 घंटे तक चली शल्य चिकित्सा में ह्रदय को रोकने के दौरान महाधमनी और वाल्व को कृत्रिम वाल्व से बदला गया। इस दौरान रोगी को 33 यूनिट रक्त चढ़ाया गया।
अभी तक किसी भी शल्य चिकित्सा में 180 मिनट तक ह्रदय को रोकने के प्रमाण मौजूद है, जबकि नंद किशोर के मामले में ह्रदय को 210 मिनट तक रोका गया। 13 दिन बाद 1 जनवरी, 2018 को रोगी पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर घर चला गया। उन्होंने नोएडा में इस तरह का आॅपरेशन पहली बार करने का दावा किया है। इस अवसर पर आर. एन. शर्मा, डॉ. रीतू वोहरा, डॉ. अनिल गुरनानी ने डॉ. मैथ्यू और उनकी टीम को सफलता के लिए बधाई दी।