मां-बाप या दरिंदे! 13 बच्चों को जंजीरों से बांध रखा कैद, बाथरूम जाने तक पर पाबंदी, सामने आई दहलाने वाली कहानी
अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में गुरुवार को एक दंपति पर अपने 13 बच्चों को घर में कैद कर के रखने का आरोप लगा है। मां-बाप ने बच्चों को जंजीरों से बांध रखा था। वे इस दौरान उन्हें बाथरूम तक नहीं जाने देते थे। मामला सामने आने पर आरोपी दंपति पर टॉर्चर और बाल शोषण के कई मामले दर्ज किए गए। आरोपियों की पहचान 57 वर्षीय डेवि़ड ऐलन टर्पिन और 49 वर्षीय पत्नी लुइस एन्ना टर्पिन के रूप में हुई है। उन्होंने अपने घर को स्कूल के तौर पर पंजीकृत करा रखा था। रिवरसाइड कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पर 12 टॉर्चर व कैद के और छह बाल शोषण व आश्रित व्यस्कों के शोषण के आरोप लगे। डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी माइक हेस्ट्रिन ने इस बाबत प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, “अगर आरोपियों पर दोष सिद्ध होते हैं तो उन्हें 94 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। प्रत्येक आरोपी के लिए जमानत की रकम लगभग 83 करोड़ रुपए तय की गई है।”
लॉस एंजलिस के दक्षिण पूर्व में स्थित पेर्रिस शहर में पुलिस अधिकारियों ने रविवार (14 जनवरी) को तीन बच्चों को जंजीरों और तालों से बंधा पाया था। पुलिस को इन बच्चों के बारे में एक 17 वर्षीय लड़की ने जानकारी दी थी, जिसके बाद उन्हें वहां से सभी
बच्चों को छुड़ाया गया। अधिकतर बच्चों की उम्र 18-19 साल के बीच थी। वे सभी कुपोषण का शिकार थे और उनके कुछ मेडिकल टेस्ट भी चल रहे थे।
डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ने आगे कहा, “सभी बच्चों का काफी लंबे समय से शोषण हो रहा था। उन्हें तकरीबन साल भर तक नहाने नहीं दिया गया। कैद में उन्हें डॉक्टर और डेंटिस्ट से भी मिलने नहीं दिया जाता था। बच्चे जंजीरों में बंधे होने के कारण बाथरूम तक नहीं जा पाते थे।” जांच में पुष्टि हुई है कि आरोपी दंपति ही इन 13 बच्चों के सगे मां-बाप हैं। फिलहाल बच्चों की हालत स्थिर है। पुलिस का कहना है कि उन्हें इस मामले में यौन शोषण का तो कोई सबूत नहीं मिला है, मगर जांच-पड़ताल अभी भी जारी है।
लुइस टर्पिन की बहन एलिजाबेथ फ्लोर्स ने इस बारे में कहा, “यह सब (शोषण) तब से चल रहा है, जब से वे 13 बच्चे थे। वे बेहद निजी तरीके से रहते थे और उन्हें बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता था। मैं उनसे मिलने के लिए दरख्वास्त करती थी, लेकिन बहन बच्चों से नहीं मिलने देती थी। ऐसे में मुझे लगता था दंपति बेहद सख्त है, मगर मुझे कभी किसी
प्रकार का शोषण नहीं देखने को मिला।”