जम्मू और कश्मीर: खौफ में जी रहे सीमाई गांवों में रहने वाले
सीमावर्ती गांवों में घरों में फैला खून, खिड़कियों के टूटे शीशे और ध्वस्त छतों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पिछले तीन दिनों में पाकिस्तानी गोलीबारी और गोलाबारी ने इन इलाकों को कितना नुकसान पहुंचाया है। इन गांवों में गनपाउडर की गंध बनी हुई है। यहां के लोग डर के साये में रहने को मजबूर हैं। पिछले तीन दिनों में पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाओं में पांच नागरिकों समेत नौ लोगों की मौत हो चुकी है और 47 अन्य घायल हुए हैं। एक स्थानीय निवासी रत्नो देवी ने कहा, ‘हम लोग मौत के साए में जी रहे है। हमारे घरों पर मोर्टार बमों की बौछारें हो रही हैं और हमने सोचा था कि हम किसी भी क्षण मर जाएंगे लेकिन पुलिस अरनिया में साई खुर्द गांव से हम लोगों को बाहर निकाल लाई। देवी ने बताया कि साई खुर्द में गोलाबारी में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए और कई जानवरों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि एक महिला की मौत हो गई जबकि गांव में उसका पति और बेटा घायल हो गए।
अरनिया क्षेत्र के बाहरी इलाके में अपने रिश्तेदार के यहां शरण ली हुई रत्नो देवी ने कहा, ‘सरकार को पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी को रोकना चाहिए।’ इन गांवों में मोर्टार बमों और गोलियों के कारण कई पशुओं की मौत हो गई और कुछ घायल हो गए। सीमावर्ती इलाकों से लोगों को निकालने के लिए पुलिस वाहनों को लगाया गया है। आरएसपुरा के उपमंडलीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) सुरिंदर चौधरी ने बताया, ‘सीमावर्ती इलाके वास्तव में युद्ध क्षेत्र में बदल गये हैं। पाकिस्तान नागरिक इलाकों को निशाना बना रहा है। इससे मकानों और जानवरों को काफी नुकसान हुआ है।’ चंचलो देवी ने कहा कि वह और उनके पति अरनिया वार्ड संख्या 13 में मोर्टार गोलों की आवाज से जागे और उन्होंने तुरंत पड़ोस के एक मकान में जाने का प्रयास किया क्योंकि उनका घर तहस-नहस हो चुका था। विधिपुर के देशराज ने बताया कि उनका परिवार तब तक एक कमरे में बिना भोजन और पानी के रहा जब तक वे गोलीबारी और गोलाबारी से बचकर अपने घर से नहीं निकल गए। कोरोताना, साई खुर्द, माहाशा कोटे, पिंडी, सुचेतगढ़, झोरा फार्म गांव गोलियों और मोर्टार गोलों से बुरी तरह से प्रभावित हुए है। इन गांवों में छतें ढह गई और मकानों की दीवारें गिर गईं।
ग्रामीणों ने दावा किया कि सरकार बंकर बनाने में विफल रही है।अरनिया के सुदर्शन सिंह ने कहा, ‘यदि सरकार बंकरों का निर्माण कर देती या कई वर्षों पहले किए गये वादे के अनुसार एक सुरक्षा जगह मुहैया करा देती तो सीमावर्ती इलाकों के लोग नहीं मारे जाते या घायल नहीं होते।’ जम्मू मंडल में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी में आज सेना के एक जवान समेत तीन लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। जम्मू और साम्बा जिलों के तीन सेक्टरों में संघर्षविराम की घटना में कल 17 वर्षीय एक लड़की की मौत हो गई थी और बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया था जबकि पांच नागरिक घायल हो गए थे।एसडीपीओ सुरिंदर चौधरी ने कहा, ‘हम सीमावर्ती गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले गए हैं। पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।’