दिल्ली: नगर निगम के सीलिंग के खिलाफ अभियान को लेकर कारोबारियों और राजनीति में उबाल
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति और दिल्ली नगर निगम के सीलिंग जारी रहने के फरमान के बाद राजधानी के कारोबारियों में हाहाकार मच गया है। इसका खमियाजा उन व्यापारियों को ज्यादा उठाना पड़ रहा है, जिन्होंने निगम अधिकारियों और पुलिस के साथ मिलकर अपने वैध निर्माण के कुछ हिस्से में अवैध निर्माण कराया था। हालांकि अब सभी की नजर विधानसभा की समिति के 23 जनवरी को आने वाले फैसले पर भी टिकी हुई है जिसमें सरकार को इससे संबंधित कई अहम फैसले लेने हैं। दूसरी ओर इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी के पार्षद भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं और भाजपा दिल्ली सरकार को निशाना बना रही है। वहीं कांग्रेस पार्षदों का आरोप है कि आप और भाजपा दोनों इसके लिए जिम्मेदार हैं और इन्हें जनता को जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए। उधर कुछ पुराने बाजारों में सीलिंग की कार्रवाई से व्यापारियों में खासी नाराजगी है। यह नाराजगी कभी भी आंदोलन का रूप ले सकती है, इसी के मद्देनजर अब सीलिंग के दौरान अधिकारियों से ज्यादा पुलिस के जवान दिख रहे हैं। 22 दिसंबर से शुरू हुई सीलिंग की चपेट में अब तक करीब एक हजार दुकानें और अन्य परिसर आ चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जिन तीन सदस्यों को समिति का सदस्य बनाकर निगरानी करने को कहा है वे इतने सख्त हैं कि कारोबारी बिना पुख्ता कागजात और नियम-कानून के उनसे बात करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते। वहीं निगम अधिकारी भी कानूनी पचड़े से छुटकारा पाने के लिए यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि सीलिंग कानून के मुताबिक हो रही है और आगे भी जब तक अदालत चाहेगी तब तक होती रहेगी। जिन्हें भी इस कार्रवाई से छुटकारा पाना है उन्हें कन्वर्जन शुल्क जमा कराना चाहिए। सीलिंग की चपेट में आने वाले व्यापारियों को भी अब यही लग रहा है कि सीलिंग को रोक पाना मुश्किल है, लिहाजा वे आंदोलन और तोड़फोड़ पर उतर आए हैं।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दस साल पहले हुई सीलिंग की कार्रवाई और इस बार उससे ज्यादा अवैध निर्माणों का आंकड़ा सामने रखकर सबको चुप करा दिया है। हालांकि इस मामले में निगम अधिकारी और पुलिस भी कठघरे में है। कहा जा रहा है कि इन दस सालों में दिल्ली में जो भी अवैध निर्माण हुए, उसमें निगम अधिकारियों और पुलिस की भी मिलीभगत है। इन दोनों की मिलीभगत से ही दिल्ली के हर कोने में कई-कई मंजिला निर्माण होते रहे हैं।सीलिंग की कार्रवाई फिलहाल दिल्ली की राजनीति का सबसे अहम मुद्दा बन गई है। आम आदमी पार्टी के नेता हर दूसरे दिन निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन कर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं तो वहीं भाजपा के निगम पदाधिकारी दिल्ली सरकार पर मामले को लटकाने का आरोप लगा रहे हैं। निगम में विपक्ष के नेता राकेश कुमार का कहना है कि सीलिंग का कारण भाजपा है जबकि भाजपा के सदन के नेता जयेंद्र डबास कहते हैं कि इसके लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है। निगम के किसी भी प्रस्ताव को अधिसूचित नहीं करके सरकार ने लोगों पर सीलिंग थोप दी है। वहीं कांग्रेस दल के नेता मुकेश गायल कहते हैं कि भाजपा औप आप दोनों सरकार चलाने लायक नहीं है और व्यापारी इन्हें मजा जरूर चखाएंगे।