दिल्ली बवाना हादसा: घायलों को मृत घोषित करते जा रहे थे डॉक्टर

शनिवार की शाम राजधानी के महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में कोहराम लेकर आई जब बवाना के पटाखा कारखाने के हादसे के शिकार यहां पहुंचने लगे। पहुंचने वालों में मृतकों की संख्या अधिक व जीवित इक्के-दुक्के ही। डॉक्टरों की टीम यहां पहुंच रहे हर घायल की पड़ताल करती व इसके साथ ही मृतकों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा था। खबर लिखे जाने तक यहां 17 लोगों को मृत घोषित किया जा चुका था जिनमें 10 महिलाएं और सात पुरुष थे।  अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, शाम छह बजे से रात दस बजे तक यहां पहुंच रहे घायलों में दो जिंदा हैं। इनमें भी एक पुरुष है और दूसरी महिला। अस्पताल में इस आपात स्थिति से निपटने के लिए करीब 35 डाक्टरों का दल तैनात किया गया है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के सभी 15 बिस्तर घायलो के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। साधारण बुखार या आमतौर से इमरजेंसी में आने वाले दूसरे मरीजों को को दूसरे अस्ताल जाने के लिए कह दिया गया है।

छत से लगा दी छलांग
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, यहां पहला घायल छह बजे पहुंचा। घायलों की संख्या बढ़ सकती है। यहां जीवित बच कर आए घायल 25 साल के युवक रूप किशोर ने डाक्टरों को बताया कि धमाके को सुन व आग की बढ़ती लपटों को देख वह दहशत से भर गया और छत से ही सीधे छलांग लगा कर नीचे कूद गया। इसके कारण उसके प्राण बच गए। लेकिन ऊंचाई से कूदने के कारण उसके पैर की हड्डी में दो फै्रक्चर हो गए। वह खुद को खुशकिस्मत समझ रहा था लेकिन मौत की दहशत से बुरी तरह घबराया हुआ था। दूसरी घायल महिला के कूल्हे की हड्डी टूट गई है। गनीमत कि वह भी आग से बच गई है।

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