ईमानदारी के लिए फिर चर्चा में आए IAS अशोक खेमका, मास्टरस्ट्रोक से उड़ाई हरियाणा में अफसरों की नींद

हरियाणा के आईएएस अधिकारी और खेल महकमे के प्रमुख सचिव अशोक खेमका एक बार फिर अपने मास्टरस्ट्रोक से चर्चा में है।  इस पर उन्होंने राज्य में सरकारी आयोजन पर हुए करोड़ों के खर्च का हिसाब-किताब मांगकर अफसरों को परेशान कर दिया है, जिन्होंने लंबा-चौड़ा बिल भुगतान के लिए लगाया है। खास बात है कि इस बार सरकार का भी साथ उन्हें मिला है।  मंत्री अनिल विज ने कहा है कि खेमका जो कर रहे हैं, वो उचित है, बिना पक्का बिल के धनराशि नहीं जारी हो सकती।
बता दें कि अशोक खेमका राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में तब आए थे, जब उन्होने 2012 में रॉबर्ड वाड्रा और डीएलएफ के बीच हुए भूमि सौदे को रद्द कर दिया था। उस समय खेमका हरियाणा के राजस्व विभाग में थे। खेमका जिस भी विभाग में रहे, उस विभाग के मंत्री और भ्रष्ट अफसरों से कभी नहीं पटी। यही वजह रही कि उन्हें हर बार तबादले झेलने पड़े। पिछले साल नवंबर में उनका 51 वीं बार ट्रांसफर हुआ था, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद ट्विटर पर सभी से साझा की थी।

क्या है मामला : मामला स्वर्ण जयंती समारोह के आयोजन से जुड़ा है। हर जिले को हरियाणा सरकार ने 54-54 लाख रुपये दिए थे। मगर, जिलों के उपायुक्तों ने एक से डेढ़ करोड़ रुपये के खर्च का लंबा-चौड़ा बिल-बाउचर लगाकर भुगतान के लिए सचिवालय भेजा है। इस आयोजन का नोडल खेल विभाग को बनाया गया था। विभाग के आईएएस अफसर अशोक खेमका ने सभी जिला उपायुक्तों से साफ कह दिया है कि जितनी धनराशि खर्च के लिए तय थी, उससे एक रुपये अधिक नहीं मिलेगी। इसके लिए कोई सोर्स-सिफारिश नहीं चलेगी। जब खेमका ने भुगतान से जुड़ी फाइलों पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया तो अफसरों के चेहरे लटक गए। सूत्र बताते हैं कि कई जिलों में कंसल्टेंट नियुक्त कर 80 से 90 लाख रुपये दे दिए गए। इस पर मुख्य सचिव की बैठक में भी खेमका ने सवाल उठाते हुए कहा था कि आयोजन में कंसल्टेंट नियुक्त करने की क्या जरूरत थी। खेल विभाग ने आयोजन के लिए 22 करोड़ रुपये जारी कर दिए थे, मगर जिलों से 11 करोड़ और रुपये मांगे गए। यह देखकर विभाग के प्रमुख सचिव अशोक खेमका ने सबसे स्टेटमेंट आफ एक्सपेंडीचर मांग लिया। बता दे कि हरियाणा की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर सभी जिलों में स्वर्ण जयंती समारोह हुए थे।

 

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