विधानसभा चुनाव में सामाजिक समरसता का खाका लेकर उतरेगी मध्य प्रदेश भाजपा

मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की भाजपा सरकार ने सामाजिक समरसता के सियासी एजेंडा को तेजी से आगे बढ़ाने का खाका तैयार कर लिया है, ताकि सत्तारूढ़ दल के खिलाफ वोटों के बंटवारे का चुनावी खतरा कम किया जा सके। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी एकात्म यात्रा के समापन समारोह में आज इस तीर्थ नगरी में कहा, हमारा समाज अलग-अलग जातियों, वर्गों और पंथों में बंटा हुआ है। हमें सभी सामाजिक भेदों को पूरी तरह समाप्त करना है। इसके लिए प्रदेश में सामाजिक समरसता का आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने सैंकड़ों धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं की मौजूदगी में कहा कि प्रदेश सरकार आदि गुरु शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास की स्थापना के जरिए आने वाले दिनों में सामाजिक समरसता के अनेक आयोजन करेगी।

शिवराज ने कहा, धर्म और अध्यात्म में बड़ी शक्ति है। धर्म और अध्यात्म के जरिए ही सामाजिक समरसता बढ़ाने का काम किया जा सकता है। कई बार राजनीति समाज को तोड़ देती है। लेकिन धर्म और संस्कृति समाज को जोड़ देती है। बहरहाल, मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया ने सामाजिक समरसता के विस्तृत कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा ऐसे वक्त की है, जब गुजरे महीनों में गुजरात और महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी सूबों के सियासी परिदृश्य में दलित असंतोष का मुद्दा गरमाने से सत्तारूढ़ दल की मुश्किलें बढ़ी हैं। इस बीच, देश भर में अपने अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी सामाजिक समरसता पर जोर देते देखा गया है।

एकात्म यात्रा के समापन समारोह में संघ के महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा, भारत की शक्ति हमेशा संरक्षक शक्ति रही है। यह शक्ति कभी विध्वंसक शक्ति नहीं रही है। भिन्न-भिन्न अन्याय-अत्याचारों को सहन करने वाले सामाजिक बंधुओं और मानव समूहों को भारत एक बार फिर आश्वस्त करना चाहता है कि देश की शक्ति आप सबके लिए मंगलमय साबित होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य ने अपनी अनेक यात्राओं के जरिए देश भर को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधा था। प्रदेश सरकार आदि गुरु शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास के जरिए सांस्कृतिक पुनर्जागरण, नैतिक पुनर्जागरण और आध्यात्मिक पुनर्जागरण भी करेगी। शिवराज ने आदि गुरु शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत की व्याख्या करते हुए कहा कि दुनिया के सभी प्राणियों में एक ही आध्यात्मिक चेतना समाई है।

भारतीय धर्म गुरु के इस फलसफे के जरिए आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी समस्याओं को हल किया जा सकता है और विश्व युद्ध का खतरा घटाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 35 दिवसीय एकात्म यात्रा के दौरान सूबे के अलग-अलग स्थानों से सांकेतिक तौर पर जमा किए गए धातु कलशों को गलाकर ओंकारेश्वर में आदि शंकाराचार्य की अष्टधातु की 108 फुट ऊंची प्रतिमा का आधार तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही, शंकाराचार्य के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए आचार्य शंकर संग्रहालय और अंतरराष्ट्रीय वेदांत संस्थान समेत अलग-अलग केंद्र स्थापित किए जाएंगे। ऐसी मान्यता है कि आदि शंकाराचार्य ने सदियों पहले ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर गुरु गोविंदपादाचार्य से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण की थी। एकात्म यात्रा 19 दिसंबर से ओंकारेश्वर, उज्जैन, अमरकंटक और रीवा के पचमठा से एक साथ शुरू हुई थी। प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से गुजरने के बाद आज ओंकारेश्वर में इसका समापन हुआ। इसके समापन समारोह में आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव, सत्यमित्रानंद गिरि और अवधेशानंद गिरि भी उपस्थित थे।

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