सात लाख लोगों की नौकरियां खतरे में, नरेंद्र मोदी के लिए बुरी खबर
भारत में आईटी और बीपीओ सेक्टर में काम करने वाले सात लाख लोगों की नौकरी खतरे में है। यह खतरा ऑटोमेटिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण बढ़ता दिखाई दे रहा है। अमेरिका की एक रिसर्च फर्म HSF रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में 2022 तक 7 लाख लोगों की नौकरी जाने की बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मीडियम और हाई स्किल नौकरियों में इस अवधि के दौरान बढ़ोतरी होगी। हालांकि यह पीएम नरेंद्र मोदी के लिए बुरी खबर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑटोमेटिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण घरेलू आईटी और बीपीओ सेक्टर में लो स्किल्ड वर्कर्स की संख्या 24 लाख (2016 में) से घटकर 2022 में 17 लाख रह जाएगी।
हालांकि देश में मीडियम स्किल्ड लोगों के लिए नौकरियां 9 लाख से बढ़कर 10 लाख हो सकती हैं। इसके अलावा 2016 में 3,20,000 हाई स्किल्ड लोगों के लिए नौकरियां थीं जो 2022 तक 5,10,000 तक पहुचं जाएंगी। भारत में यह ट्रैंड वैश्विक परिदृश्य को दर्शाता है, क्योंकि विश्व स्तर पर लो स्किल्ड आईटी / बीपीओ नौकरियों में 31 फीसदी की गिरावट आने की उम्मीद है, जबकि मीडियम स्किल्ड नौकरियों में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है और हाई स्किल्ड नौकरियों में 57 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
भारत के आईटी और बीपीओ सेक्टर में अगर नौकरियों में होने वाली कुल हानि देखी जाए तो वह 4,50,000 तक हो सकती है। 2016 में इस सेक्टर में 36.5 लाख लोग काम करते थे जिनकी संख्या 2022 में घटकर 32 लाख पर पहुंच सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस ऑटोमेटिक की वजह से पूरी दुनिया के आईटी बीपीओ सेक्टर में नौकरियों में 7.5 फीसदी की गिरावट आएगी। सबसे ज्यादा भारत, अमेरिका और ब्रिटेन में इसका असर होगा।
रिपोर्ट में कहा है कि आईटी कंपनियां रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA) और आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस (AI) को तेजी से अपना रही हैं। इसके चलते लो-स्किल्ड जॉब्स की संख्या में यह कमी देखने को मिल रही है। रिपोर्ट में कहा है कि कंपनियां अभी अपने सर्विस कॉन्ट्रैक्ट पर रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन से पड़ने वाले असर का पता लगा रही हैं। कंपनियां अभी इस बदलाव के लिए खुद को तैयार करने पर ध्यान दे रही हैं। उनका मानना है कि 5 साल तक तो वे स्थिति को संभाल सकती हैं, उसके बाद स्टाफ पर पड़ने वाला असर ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा।