शादी की वैधता की जांच नहीं कर सकती एनआइए
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय जांच एजंसी केरल में लव-जेहाद के कथित मामले की जांच जारी रख सकती है। लेकिन वह पुरुष या स्त्री की वैवाहिक स्थिति की जांच नहीं कर सकती है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ के पीठ को जांच एजंसी ने बताया कि उसने अदालत के निर्देशों के बाद की जा रही जांच में काफी प्रगति की है। अदालत ने इसके बाद यह बात कही है। सीजेआइ दीपक मिश्रा की अगुआई वाले पीठ ने कहा कि हादिया बालिग हैं, राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) शादी की वैधता की जांच नहीं कर सकती है।
पीठ ने कहा, हमें इससे (जांच) मतलब नहीं है। आप चाहें अपनी जांच जारी रखें या किसी को गिरफ्तार करें। हमें इससे कोई लेना-देना नहीं है। आप इसकी जांच कर सकते हैं, लेकिन आप उनकी वैवाहिक स्थिति की जांच नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर लड़का-लड़की कहते है कि उन्होंने शादी की है तो यह किसी जांच का विषय नहीं हो सकता। अदालत ने यह भी कहा कि लव जेहाद मामले की कथित पीड़िता हदिया उसके समक्ष पेश हुई थी, और कहा था कि उसने अपनी मर्जी से शफी जहां से निकाह किया था।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद के मामलों पर एनआइए की जांच का आदेश वापस लेने पर कुछ नहीं कहा। लिहाजा एनआइए की जांच जारी रहेगी। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हदिया उर्फ अखिला को भी मामले में पार्टी बना लिया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 22 फरवरी को होगी। कोर्ट ने धर्म परिवर्तन कर निकाह करने वाली हदिया उर्फ अखिला को पिछले वर्ष पढ़ाई पूरी करने के लिए कॉलेज वापस भेज दिया था। एनआइए ने इस शादी को जिहादी तत्वों की बड़ी साजिश का एक हिस्सा बताया हुआ है। कोर्ट के आदेश पर एनआइए इस शादी के अलावा केरल में पिछले कुछ सालों में हुई इस तरह की शादियों की जांच कर रही है।
पीठ ने यह भी कहा कि वह केरल हाई कोर्ट के उस फैसले पर भी गौर करेगा जिसमे हदिया के निकाह को अमान्य करार दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख तय करते हुए पीठ ने कहा, हमें सिर्फ किसी से विवाह करने संबंधी एक वयस्क व्यक्ति के चुनाव से मतलब है। अदालत ने पिछले वर्ष 27 नवंबर को हदिया को उसके माता-पिता की देखरेख से मुक्त कराकर पढ़ने के लिए कॉलेज भेज दिया था।
केरल के वाइकोम की रहने वाली अखिला तमिलनाडु के सलेम में होम्योपैथी की पढ़ाई कर रही थी। अखिला के पिता के एम अशोकन का आरोप है कि हॉस्टल में उसके साथ रहने वाली दो मुसलिम लड़कियों ने उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया। अखिला ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम हदिया रख लिया। जनवरी 2016 में वह अपने परिवार से अलग हो गई। हदिया के पिता ने दिसंबर 2016 में केरल हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी गलत हाथों में पड़ गई है। उसे आइएस का सदस्य बना कर सीरिया भेजा जा सकता है। उन्होंने बेटी को अपने पास वापस भेजने की मांग की। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।