उत्तराखंड मे बकरियों के स्वयंवर को लेकर दो मंत्रियों के बीच तनातनी, फ़ैसला करेंगे सीएम

उत्तराखंड का प्रसिद्ध ‘बकरियों का स्वयंवर’ कार्यक्रम इस बार खटाई में पड़ता दिख रहा है। बकरियों के स्वयंवर को लेकर दो मंत्रियों के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धनोल्टी में 23-24 फरवरी को बकरियों का स्वयंवर समारोह होना है। इस समारोह को कोट विलेज नाम की एक स्थानीय संस्था कराती है। संस्था कि तरफ से सूबे की महिला सशक्तिकरण, बाल विकास और पशुपालन मंत्री रेखा आर्य को निमंत्रण भेजा गया है। पशुपालन मंत्री होने के नाते रेखा आर्य ने बकरियों के इस स्वयंवर के लिए बढ़-चढ़कर दिलचस्पी ली तो संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज को नागवार गुजर गई। हालांकि सतपाल महाराज ने इस मुद्दे पर अपने तर्क दिए हैं। रेखा आर्य ने सोमवार (22 जनवरी) को बकरियों के स्वयंवर को लेकर प्रेस कांफ्रेंस करनी चाही, जिसे सतपाल महाराज ने रद्द करवा दिया। सतपाल महाराज का कहना है कि बकरियों के इस कार्यक्रम के लिए ‘स्वयंवर’ शब्द का इस्तेमाल ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि बकरियों के स्वयंवर में वेदों के मंत्रोच्चरण कराए जाने की बात सामने आई है, जो कि हमारी संस्कृति के खिलाफ है।

सतपाल महाराज ने कहा कि इस समारोह का निमंत्रण उन्हें भी मिला है, लेकिन एक संस्कृति मंत्री होने के नाते वह इस तरह के कार्यक्रम में वैदिक मंत्रोच्चारण का मजाक बनते नहीं देख सकते हैं। बुधवार (24 जनवरी) को शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी सतपाल महाराज के समर्थन में आ गए। उन्होंने कहा कि उन्हें बकरियों के स्वयंवर से कोई आपत्ति नहीं और न ही पशुपालन को बढ़ावा देने से, लेकिन इस मौके पर वैदिक मंत्रों का उच्चारण गलत होगा।

वहीं, रेखा आर्या की तरफ से कहा गया है कि इस समारोह का उद्देश्य बकरियों की नस्ल में सुधार करना और पशुपालन को बढ़ावा देना है। तोता भी राम-राम रटता है तो क्या उसे ऐसा नहीं करने देना चाहिए। रेखा आर्य की प्रेस कांफ्रेंस रद्द होने का कारण केंद्रीय कृषि मंत्री राधमोहन सिंह का उसमें न आ पाना बताया गया। वहीं अगले दिन सतपाल महाराज ने कहा कि अब इस मुद्दे का फैसला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत करेंगे। अब सबकी नजरें सीएम के फैसले पर टिकी हैं।

 

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