कैलाश गहलोत की कुर्सी खतरे में, सौरभ भारद्वाज को मिल सकता है परिवहन विभाग
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की 49 दिनों की सरकार में परिवहन विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुके पार्टी विधायक सौरभ भारद्वाज को एक बार फिर से इस महकमे की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। आठ महीने से परिवहन सहित कई अन्य विभाग संभाल रहे कैलाश गहलोत उन 20 विधायकों में शामिल हैं जिन्हें राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सिफारिश पर अयोग्य करार दे चुके हैं। इसीलिए उनके पद पर बने रहने को लेकर कानूनी बहस तेज हो गई है। राष्ट्रपति के आदेश पर आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की अधिसूचना जारी हो चुकी है। हाई कोर्ट ने भी इनकी अयोग्यता पर रोक नहीं लगाई है। इसके बावजूद कैलाश गहलोत मंत्री पद पर बने हुए हैं।
सोमवार को अदालत में इस मुद्दे पर फिर से सुनवाई होने वाली है। अदालत का रुख देखने के बाद केजरीवाल अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं। अधिकारियों की मानें तो इस मामले में कानूनी रायशुमारी जारी है। लोकसभा व दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा ने इस बारे में कहा कि इस मुद्दे पर संविधान मौन है। संवैधानिक स्थिति यह है कि या तो किसी सदन के सदस्य को मंत्री बनाया जा सकता है या किसी गैर सदस्य को छह महीने के लिए मंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन कैलाश गहलोत न तो सदस्य हैं और न ही गैर सदस्य हैं, वे अयोग्य सदस्य हैं। ऐसे में यही किया जा सकता है कि वे अपने पद से इस्तीफा दें और अगले दिन उपराज्यपाल उन्हें गैर सदस्य के रूप में शपथ दिला दें। हालांकि नैतिकता का तकाजा यह है कि जब चुनाव आयोग व राष्ट्रपति ने किसी सदस्य को अयोग्य घोषित कर दिया हो तो उसे फौरन पद त्याग देना चाहिए। इसकी वजह यह है कि अगर आज एक मंत्री के तौर पर वह कैबिनेट की बैठक में हिस्सा लेता है तो कल अदालत में इसी आधार पर कैबिनेट के फैसले को चुनौती दी जा सकती है कि एक अयोग्य सदस्य की मौजूदगी में कैबिनेट कोई फैसला भला कैसे ले सकती है।
केजरीवाल ने टाला नागपुर दौरा
लाभ का पद मामले में राष्ट्रपति द्वारा अयोग्य करार दिए गए 20 विधायकों में दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का भी नाम शामिल होने की वजह से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना दो दिवसीय नागपुर दौरा टालना पड़ा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की सलाह पर वे शनिवार को भाजपा शासित नागपुर नगर निगम (एनएमसी) में विकास कार्यों को देखने के लिए गहलोत के साथ दो दिन के नागपुर दौरे पर जाने वाले थे। अयोग्य घोषित किए गए विधायकों ने राष्ट्रपति के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है। सोमवार को इस मुद्दे पर अदालत में सुनवाई होनी है। दिल्ली सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चूंकि परिवहन मंत्री लाभ का पद मामले की तैयारियों में व्यस्त हैं, इसलिए मुख्यमंत्री ने भी अपना नागपुर दौरा टाल दिया है।