जब दंगे की आग में झुलसा कासगंज, संगीत की महफिल में थे बीजेपी विधायक-सांसद

देश शुक्रवार (26 जनवरी) को 69वां गणतंत्र दिवस मना रहा था लेकिन उत्तर प्रदेश का कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा में धू-धू जल रहा था। हैरत की बात तो ये कि उस वक्त बीजेपी के विधायक और सांसद दंगे की आग बुझाने की बजाय संगीत की महफिल में मजे ले रहे थे। आजतक के मुताबिक 26 जनवरी की शाम जब कासगंज जल रहा था, तब योगी आदित्यनाथ के विधायक-सांसद एटा महोत्सव में संगीत का लुत्फ उठा रहे थे। कैलाश खेर नाइट नाम का यह जश्न कासगंज से 25 किलोमीटर दूर हो रहा था। वहां कासगंज सदर से बीजेपी विधायक देवेंद्र लोधी, कासगंज के अमापुर से विधायक देवेंद्र प्रताप, फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत और एटा मारहरा के विधायक वीरेंद्र वर्मा मौजूद थे। इनके अलावा एटा के डीएम अमित किशोर और एसएसपी अशोक चौरसिया भी मौजूद थे। हालांकि, पूछने पर विधायक ने कहा कि वहां कार्यक्रम पहले से तय था।

बता दें कि इस घटना को राज्य के गवर्नर राम नाईक ने उत्तर प्रदेश का कलंक बताया है और इसे शर्मनाक करार दिया है। राज्यपाल ने कहा कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार इस मामले की जांच करवा रही है और सख्त कदम उठा रही है। राज्यपाल ने भरोसा जताया कि राज्य में दोबारा इस तरह की घटना ना हो इसके लिए सरकार जरूरी कदम उठाए। मुख्यमंत्री ने भी राज्य के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक की है। इस बीच कासगंज में स्थिति सामान्य हो रही है।

गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस के दिन कासगंज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने तिरंगा यात्रा का आयोजन किया था। यात्रा को रास्ता न देने के कारण दो समुदायों में विवाद खड़ा हो गया जो साम्प्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया। इस हिंसा में अभिषेक गुप्ता उर्फ चंदन नाम के युवक की जान चली गई जबकि अकरम नाम का व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। 26 जनवरी को 50-60 लोगों का एक ग्रुप बाइक पर सवार होकर तिंरगा यात्रा के लिए निकला था। यह यात्रा जैसे ही बाद्दू नगर पहुंची वहां से निकलने के लिए उन्हें रास्ता नहीं मिला क्योंकि अन्य समुदाय के लोग उस समय तिरंगा फहराने का कार्यक्रम कर रहे थे और उन्होंने सड़कों पर कुर्सियां बिछाई हुई थीं। रास्ता न मिलने के कारण दोनों पक्षों के बीच काफी विवाद हुआ और फिर कुछ ही देर बाद हिंसा भड़क गई।

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