राजनीतिः मोहनदास से महात्मा तक
आमतौर पर यह धारणा प्रचलित है कि गांधीजी को पहली बार ‘महात्मा’ से संबोधित किया रवींद्रनाथ ठाकुर ने। लेकिन धर्मपालजी अपनी पुस्तक में बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आने पर गांधी को पहली बार ‘महात्मा’ के रूप में संबोधित किया गया 21 जनवरी 1915 को, गुजरात के जेतपुर में हुए नागरिक अभिनंदन समारोह में। इसमें प्रस्तुत अभिनंदन पत्र में ‘श्रीमान महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी’ जैसे आदरसूचक शब्दों में उनका उल्लेख किया गया। इसके बाद तो उन्हें महात्मा कहने का ऐसा सिलसिला चल पड़ा कि वे पूरे नाम के बदले सिर्फ ‘महात्मा गांधी’ के रूप में पहचाने जाने लगे। वस्तुत: दक्षिण अफ्रीका में मोहनदास ने ‘कुली बैरिस्टर’ के रूप में जातीय स्वाभिमान की रक्षा के निमित्त जो त्याग और संघर्ष किया उसने उन्हें दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों के बीच ‘गांधी भाई’ बना दिया तो भारत में ‘महात्मा’। नेलसन मंडेला ने सही कहा था कि भारत ने जिस मोहनदास को दक्षिण अफ्रीका भेजा था, उसे दक्षिण अफ्रीका ने ‘महात्मा’ बना कर भेजा।
आमतौर पर यह धारणा प्रचलित है कि गांधीजी को पहली बार ‘महात्मा’ से संबोधित किया रवींद्रनाथ ठाकुर ने। लेकिन धर्मपालजी अपनी पुस्तक में बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आने पर गांधी को पहली बार ‘महात्मा’ के रूप में संबोधित किया गया 21 जनवरी 1915 को, गुजरात के जेतपुर में हुए नागरिक अभिनंदन समारोह में। इसमें प्रस्तुत अभिनंदन पत्र में ‘श्रीमान महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी’ जैसे आदरसूचक शब्दों में उनका उल्लेख किया गया। इसके बाद तो उन्हें महात्मा कहने का ऐसा सिलसिला चल पड़ा कि वे पूरे नाम के बदले सिर्फ ‘महात्मा गांधी’ के रूप में पहचाने जाने लगे। वस्तुत: दक्षिण अफ्रीका में मोहनदास ने ‘कुली बैरिस्टर’ के रूप में जातीय स्वाभिमान की रक्षा के निमित्त जो त्याग और संघर्ष किया उसने उन्हें दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों के बीच ‘गांधी भाई’ बना दिया तो भारत में ‘महात्मा’। नेलसन मंडेला ने सही कहा था कि भारत ने जिस मोहनदास को दक्षिण अफ्रीका भेजा था, उसे दक्षिण अफ्रीका ने ‘महात्मा’ बना कर भेजा।