हाई कोर्ट ने NSUI के उम्मीदवार को DUSU चुनाव लड़ने की अनुमति दी
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआइ के उम्मीदवार रॉकी तुसीद को डूसू चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर ने तुसीद को अंतरिम आदेश में राहत देते हुए 12 सितंबर को होने वाले चुनावों में प्रत्याशी बनने की अनुमति दी है। डीयू प्रशासन ने अध्यक्ष पद के लिए उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था। हालांकि अदालत रॉकी की मुख्य याचिका पर 28 सितंबर को भी सुनवाई करेगी, जिसमें नामांकन खारिज करने से जुड़े कुछ और बिंदु उठाए गए हैं। अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का नामांकन रद्द किए जाने के फैसले को पलटने से पहले हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय से तीखे सवाल किए। अदालत ने विश्वविद्यालय से जानना चाहा कि कैसे किसी कॉलेज की ओर से किसी छात्र को दी गई चेतावनी को उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करार दी जा सकती है। रॉकी ने छात्र संघ (डूसू) चुनाव में नामांकन खारिज करने के डीयू मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी।
अदालत ने याचिकाकर्ता की इस दलील को प्रथमदृष्टया सही पाया कि शिवाजी कॉलेज में उसे चेतावनी दी गई थी और यह अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं थी। न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर ने कहा कि यह अनुशासनात्मक कार्रवाई कैसे है? यह समझ से परे है। कल्पना की किसी भी सीमा तक इसे (चेतावनी को) अनुशासनात्मक कार्रवाई की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। अदालत ने कहा कि छात्र का नामांकन रद्द करके विश्वविद्यालय ने उसका ‘अपमान’ किया है। रॉकी की ओर से अदालत में पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने जिरह करते हुए कहा कि एक गुमनाम और अनुचित शिकायत के आधार पर सीईओ कैसे उसके नामांकन को रद्द कर सकता है।
एनएसयूआइ ने की चुनाव का समय बढ़ाने की मांग
फैसला आते ही एनएसयूआइ ने विश्वविद्यालय प्रशासन को घेर लिया। एनएसयूआइ की प्रभारी रुचि गुप्ता व राष्ट्रीय अध्यक्ष फैरोज खान ने मीडिया के जरिए चुनाव की तारीख बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह अन्याय है। दो दिन के समय की बर्बादी के लिए डीयू जिम्मेदार है। उन्होंने डूसू चुनाव चार दिन और बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सबको समान मौका मिलना चाहिए। उन्होंने अदालत के फैसले के हवाले से कहा कि अदालत ने न केवल डीयू को आड़े हाथ लिया बल्कि यहां तक कहा कि छात्र का नामांकन रद्द करके विश्वविद्यालय ने उसका ‘अपमान’ किया है। हमें इंसाफ चाहिए। इस मामले में डीयू प्रशासन बेनकाब हुआ है।