बेपटरी रेल
हाल में हुए रेल हादसों से लोग अभी उबर नहीं पाए थे कि एक बार फिर रेल परिचालन और यात्री सुरक्षा की कड़वी हकीकत सामने आ गई। गुरुवार को, यानी एक ही दिन में, ट्रेन के पटरी से उतरने के कई वाकये हुए। हालांकि इन घटनाओं में किसी की जान नहीं गई, बस कुछ यात्री मामूली रूप से घायल हुए, पर इससे जो हुआ उसकी गंभीरता कम नहीं हो जाती। इन घटनाओं से भारतीय रेलवे की खस्ता ढांचागत हालत और परिचालन में लापरवाही सामने आई है, और यही अधिकतर हादसों के मूल कारण होते हैं। इसलिए जान-माल की क्षति नहीं हुई, यह सोच कर रेलवे को बेफिक्र नहीं हो जाना चाहिए, बल्कि ये घटनाएं गंभीर चेतावनी हैं और इन्हें उसी रूप में लिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि गुरुवार को दिन में कोई पौने बारह बजे रांची राजधानी एक्सप्रेस नई दिल्ली स्टेशन पहुंचने से पहले ही पटरी से उतर गई। ट्रेन के तेज झटके से रुकने के कारण घबरा कर मुसाफिर नीचे उतरे तो पता चला कि इंजन और उसके साथ लगा जेनरेटर यान कोच पटरी से उतर गया है। उस वक्त ट्रेन की रफ्तार काफी कम थी, इसलिए यात्रियों को चोट नहीं आई। मगर ट्रेन के बेपटरी हो जाने के कारण उनके मन पर छाए रहे खौफ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
शुरुआती जांच के मुताबिक पटरी टूटी हुई और फिशप्लेट भी कई जगह से हटी हुई मिली।दूसरी घटना सोनभद्र जिले (उप्र) में ओबरा-फफराकुंड स्टेशन के बीच हुई। हावड़ा से चल कर जबलपुर जा रही शक्तिपुंज एक्सप्रेस की सात बोगियां गुरुवार सुबह सवा छह बजे पटरी से उतर गर्इं। इसकी वजह भी ट्रैक में गड़बड़ी मानी जा रही है। इसी दिन झारखंड के टिटलागढ़ से हावड़ा की ओर जाने वाली इस्पात एक्सप्रेस के पेंट्रीकार के पहिये में आग लग गई, और इस वजह से उठा धुआं कई बोगियों में भर गया। ‘सुरक्षित रेल सफर’ की इन झलकियों में रही-सही कसर गुरुवार को ही हुई एक और घटना ने पूरी कर दी। फैजाबाद से दिल्ली आ रही फैजाबाद एक्सप्रेस में दो यात्रियों को चाकू मार कर उनसे तीन बदमाशों ने हजारों रुपए लूट लिये। कहने को कुछ सालों से रेल यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाने और भारतीय रेलवे को दुनिया की बेहतरीन रेल सेवाओं के समकक्ष ला खड़ा करने का दम भरा जाता रहा है। लेकिन हालत यह है कि सबसे बुनियादी कसौटी पर ही भारतीय रेलवे नाकाम दिख रहा है। पटरियां तक दुरुस्त नहीं हैं। रेलवे के बहुत-से पुल जर्जर हो चुके हैं और बहुत सारी क्रॉसिंगों पर कोई चौकीदार नहीं है। दूसरी तरफ, ट्रेनों की रफ्तार कई गुना बढ़ा देने के ख्वाब देखे और दिखाए जा रहे हैं।
अगले हफ्ते बुलेट ट्रेन परियोजना का शिलान्यास होने वाला है। क्या इन्हीं पटरियों पर, जो ट्रेनों की मौजूदा रफ्तार को नहीं संभाल पा रही हैं, वर्तमान की तुलना में बहुत अधिक रफ्तार वाली ट्रेनें चलाई जा सकेंगी? रेल हादसों के कारण पिछले दिनों सुरेश प्रभु ने नैतिक आधार पर इस्तीफे की पेशकश की थी, और बाद में वह मंजूर भी कर ली गई। उन्हें रेलवे से हटा कर उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी दे दी गई और उनकी जगह रेलवे की कमान संभालने पीयूष गोयल आ गए। गुरुवार को हुई घटनाओं से जाहिर है कि उनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही, और इसी के साथ यह भी साफ हो गया कि भारतीय रेलवे की बुनियादी समस्याएं क्या हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि नए रेलमंत्री शेखी बघारने वाली प्राथमिकताओं में उलझने के बजाय बुनियादी समस्याओं के हल में दिलचस्पी दिखाएंगे।