जाने सूर्य देव को क्यों चढ़ाया जाता है जल! क्या है इसकी महत्ता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव को सभी ग्रहों का स्वामी कहा जाता है। हर दिन सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व माना जाता है। सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिन नियमित रुप से जल अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि सूर्य की आराधना से भाग्योदय होता है। हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी ना किसी देवता को समर्पित किया जाता है। इसी तरह रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित किया जाता है। यदि पूरे सप्ताह सूर्यदेव को जल अर्पित नहीं कर सकते हैं तो रविवार के दिन करना भी लाभदायक माना जाता है। रविवार को सूर्यवार भी माना जाता है।

सूर्य देव को जल चढ़ाते समय केवल लज्जा वस्त्र धारण किए जाते हैं। नंगे शरीर जल अर्पित करने के लिए हिंदू धर्म में मान्यता है, कहा जाता है कि जो जल जमीन पर गिरकर हमारे बदन पर छीटों के रुप में लगता है वो सूर्य की किरणों से प्रभावित होता है। उस जल में कई शारीरिक परेशानियों को खत्म करने की क्षमता होती है। सूर्य की किरणों को प्राकृतिक ईलाज माना जाता है। इसी के साथ माना जाता है कि जल चढ़ाने से शरीर निरोग रहता है।

सूर्य देव को जल अर्पित करते समय कुछ बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि सूर्यदेव को तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करें। सूर्य को जल अर्पित करते हुए उसमें पुष्प या चावल अवश्य रखें। इसके बाद दोनों हाथों से सूर्य को जल देते हुए ये ध्यान रखें कि उसमें सूर्य की किरणों की धार अवश्य दिखाई दे। पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही जल अर्पित किया जाना चाहिए। ध्यान रखें कि अर्पित किया जाने वाला जल पैरों पर नहीं गिर रहा हो, इसे अशुभ और सूर्य देव का अपमान माना जाता है। यदि नियमित तौर पर जल अर्पित कर रहे हैं और किसी दिन बादल होने पर सूर्य दिखाई नहीं दे रहा हो तो पूर्व दिशा की तरफ मुख करके जल अर्पित करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *