ऐसा बैंक जहां रुपए नहीं जमा की जाती है अस्थियां
हम आपको एक ऐसे बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर न तो रुपए रखे जाते हैं और न ही आपको खाता खुलवाने के लिए किसी कागज की जरूरत होती है। न गारंटी, न जमानत। यह बैंक बनाया है-गंगा को स्वच्छ बनाने में लगे लोगों ने। यह अस्थियों का बैंक है। इसकेलॉकर का इस्तेमाल करने वाला हर व्यक्ति अपने मृतक-संबंधियों की अस्थियां एक निश्चित समय के लिए निशुल्क यहां जमा कर सकता है। और फिर अपनी सुविधा से उसे वहां से ले जा सकता है और अपनी इच्छा के अनुरूप मनवांछित स्थल पर विसर्जित कर सकता है।
कानपुर में थाना कोतवाली के अंतर्गत बने भैरव घाट में शवदाहगृह के पास ही अस्थि कलश बैंक का संचालन दिसंबर- 2014 से युग दधीचि देहदान संस्था के संस्थापक मनोज सेंगर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले जब लोग शवदाह करते थे तो राख, अधजली लकड़ियां, अधजले शवों को गंगा में प्रवाहित कर देते थे, जिससे गंगा मैली होती थीं। कई लोग अस्थियों को चुनते तो थे, लेकिन उनका तुरंत विसर्जन नहीं करते थे। ज्यादातार लोग जो अस्थियों को इलाहाबाद के संगम में प्रवाहित करना चाहते थे या अन्य कहीं, वे मन मसोस कर रह जाते थे। ऐसे लोगों के लिए यह बैंक बनाया गया है। इससे गंगा भी गंगा भी स्वच्छ रहेंगी और लोगों की इच्छाएं भी पूरी होंगी।
सेंगर बताते हैं कि मोक्ष धाम घाट पर आने वाले लोगों को विद्युत शवदाहगृह में शवों को जलाने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। तमाम लोग अब विद्युत शवदाह में शव जलाने के बाद अंतिम अवशेषों को इस बैंक में जमा कर रहे हैं। संस्था कोई शुल्क नहीं लेती। उन्होंने कहा कि अब हर माह करीब सौ से ज्यादा अस्थि कलश बैंक में जमा होते हैं। कलश पर मृतक का नाम, पता लिखकर एक कार्ड बनाकर दिया जाता है अगर तीस दिनों तक अस्थियों को बैंक से नहीं निकाला जाता है तो संस्था खुद ही अस्थियों का भू- विसर्जन करती है। सेंगर ने बताया कि जल्द ही प्रदेश के अन्य घाटों पर भी इसकी व्यवस्था की जाएगी।