वित्‍त मंत्री बने 6 नेता बन चुके हैं प्रधानमंत्री या राष्‍ट्रपति, अरुण जेटली की भी चमकेगी किस्‍मत?

भारत में वित्तमंत्रालय के महत्व और रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई नेताओं ने प्रधानमंत्री रहते हुए वित्तमंत्री का पद भी अपने पास रखा। नेहरू से लेकर इंदिरा और राजीव गांधी तक ने प्रधानमंत्री रहते बतौर वित्तमंत्री देश का आम बजट भी पेश किया। मगर इससे भी खास बात यह है कि यह कुर्सी आधे दर्जन नेताओं के लिए बहुत लकी साबित हुई। एक बार जब वे वित्तमंत्री बने तो फिर आगे चलकर उनके नाम के आगे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का पदनाम सुशोभित हुआ।

बात मोरारजी देसाई से शुरू करते हैं। मोरारजी दो बार वित्तमंत्री। पहले 13 मार्च 1958 से 29 अगस्त 1963 को फिर 13 मार्च 1967 से 16जुलाई 1969 तक वित्त मंत्री हुए। वित्तमंत्री की कुर्सी ने किस्मत का ताला इस कदर खोला कि वे बाद में 24 मार्च 1977 को प्रधानमंत्री हुए। इस पद पर वे 28 जुलाई 1979 तक रहे। इस मामले में चौधरी चरण सिंह भी भाग्यशाली रहे। वे जनवरी से जुलाई 1979 के बीच वित्तमंत्री बने। उनकी भी किस्मत चमकी और वे 1979 से जनवरी 1980 के बीच प्रधानमंत्री बने। हालांकि उन्हें कभी बजट पेश करने का मौका नहीं मिला। अब विश्वनाथ प्रताप सिंह को ही लीजिए। वीपी सिंह दिसंबर 1984 से एक जनवरी 1987 तक वित्तमंत्री रहे । फिर राजनीति में उनका भी प्रमोशन हुआ। बाद में वे दो दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक प्रधानमंत्री रहे। यानी विश्वनाथ प्रताप सिंह के लिए वित्तमंत्री की कुर्सी काफी फायदेमंद रही। आर वेंकटरमन ने तो वित्तमंत्री से राष्ट्रपति तक का सफर तय किया। 14 जनवरी 1980 से 15 जनवरी 1982 के बीच वित्तमंत्री रहते तीन बार बजट पेश किए। बाद में वे 31 अगस्त 1984 से 24 जुलाई 1987 के बीच उप राष्ट्रपति और बाद में 25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992 तक राष्ट्रपति रहे।

1982 से 1985 के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे मनमोहन सिंह बाद में 1991-1996 के बीच वित्तमंत्री रहे। इसी कार्यकाल में उन्होंने जहां लाइसेंसराज का खात्मा किया, वहीं देश को उदारीकरण के दौर में ले गए। वित्तमंत्री बनने के बाद मनमोहन सिंह का भाग्य और चमका। जब 2004 में जीत के बाद यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री पद के लिए उनका नाम फाइनल किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी लंबे समय तक देश में वित्तमंत्री रहे। मुखर्जी  1982 से 1984 के बीच वित्तमंत्री रहे। फिर जब मनमोहन सिंह दूसरी बार प्रधानमंत्री रहे तो वे 2009 से 2012 तक फिर वित्तमंत्री बने। मुखर्जी के लिए भी वित्तमंत्री की कुर्सी फायदेमंद साबित हुई और वे जुलाई 2012 में राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे। मुखर्जी ने देश के लिए सात बार आम बजट पेश किया। उनसे ज्यादा बार सिर्फ मोरारजी देसाई और पी चिदंबरम ही बजट पेश कर पाए हैं।

अब अरुण जेटली मोदी सरकार में पांच बार बजट पेश कर चुके हैं। लोगों की निगाहें जेटली पर टिकी हैं, सवाल है कि जेटली बाकी वित्तमंत्रियो की तरह क्या आगे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की कुर्सी पर पहुंच पाएंगे या नहीं। बता दें कि 2000 तक बजट ब्रिटिश संसद के समय के आधार पर शाम पांच बजे पेश होता था। वाजपेयी सरकार में वर्ष 2001 में पहली बार सुबह 11 बजे बजट पेश किया गया था। तब बतौर वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए केंद्रीय बजट के समय को बदल दिया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *