सुप्रीम कोर्ट: सीजेआई ने जारी किया नया रोस्टर सिस्टम, अब मुख्य न्यायाधीश खुद करेेंगे पीआईएल की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में मामलों को आवंटित करने के लिए नया रोस्टर सिस्टम बनाया है। विषय आधारित रोस्टर सिस्टम के तहत अब जनहित याचिकाओं (पीआईएल) की सुनवाई सीजेआई की पीठ ही करेगी। नई व्यवस्था 5 फरवरी से लागू होगी। नए रोस्टर सिस्टम को सार्वजनिक कर दिया गया है। मामलों की सुनवाई के लिए पीठ गठित करने और सुप्रीम कोर्ट में कामकाज के तौर-तरीकों को लेकर चार वरिष्ठतम जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाए थे। असंतुष्ट जजों में जस्टिस जे. चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल थे। चारों जजों ने एक समिति गठित करने का सुझाव दिया था जो केसों को आवंटित करने के मामले में सीजेआई को सुझाव दे सके। मुख्य न्यायाधीश ने इसे दरकिनार करते हुए नई व्यवस्था की घोषणा की है। मालूम हो कि जस्टिस चेलामेश्वर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि उन्होंने सीजेआई को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और सुधार के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। असंतुष्ट जजों के मुताबिक, सीजेआई ने उनकी बात नहीं सुनी थी, इसलिए उन्हें सामने आना पड़ा।
Supreme Court’s Chief Justice of India bench to hear all the Public Interest Litigation (PIL) cases, as per the new roaster system.
— ANI (@ANI) February 1, 2018
सुप्रीम कोर्ट के चारों जजों ने रोस्टर सिस्टम के अलावा कुछ खास मामलों को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका की रक्षा किए बगैर लोकतंत्र को नहीं बचाया जा सकता है। वरिष्ठ जजों ने आरोप लगाया था कि देश और सुप्रीम कोर्ट के लिए दूरगामी प्रभाव वाले मामलों को मुख्य न्यायाधीश द्वारा खास पीठ के हवाले कर दिया जाता है। इस ऐतिहासिक घटना के बाद सीजेआई जस्टिस दीपक मीश्रा ने असंतुष्ट जजों से मुलाकात भी की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया था। ‘द ट्रिब्यून’ के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के चारों वरिष्ठतम जजों ने जस्टिस एसए बोब्दे, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ विचार-विमर्श के बाद मामलों को आवंटित करने पर सीजेआई को सुझाव देने के लिए एक समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा था। बता दें कि वरिष्ठतम जजों ने संवेदनशील मामलों को जूनियर जजों की पीठ को सौंपने पर भी आपत्ति जताई थी। मालूम हो कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने जस्टिस चेलामेश्वर की अगुआई वाली दो सदस्यीय पीठ के फैसले को पलट दिया था। चेलामेश्वर की बेंच ने आदेश दिया था कि भ्रष्टाचार के मामले में घिरे उड़ीसा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज के खिलाफ एसआईटी जांच की याचिका पर सुनवाई के लिए बड़ी पीठ का गठन हो। दो सदस्यों की बेंच के इस फैसले को सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पांच सदस्यीय बेंच ने पलट दिया था।