Budget 2018: अपने ही बजट पर बरसे मोदी सरकार के मंत्री, कहा- राज्य की हुई अनदेखी

एकतरफ केंद्र सरकार 2018 का बजट पेश करने के बाद अपनी पीठ ठोंकते हुए नहीं थक रही है, वहीं सरकार के साथ गठबंधन में शामिल आंध्रपदेश की तेलुगू देशम पार्टी के नेता ने मोदी सरकार के बजट के प्रति नाखुशी जाहिर की है। तेलुगू देशम पार्टी के नेता और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री वाईएस चौधरी ने गुरुवार (1 फरवरी) को कहा कि सरकार के बजट में आंध्रप्रदेश के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बजट से वह नाखुश हैं। इस बजट में रेलवे जोन, पोलवरम परियोजना के लिए पूंजी, अमरावती के लिए पूंजी और कई लटके हुए मुद्दों को लेकर कुछ नहीं है। तेलुगू देशम पार्टी प्रमुख चंद्र बाबू नायडू ने इस बारे में इतना ही कहा कि वह तभी कुछ बोलेंगे जब बीजेपी उनके साथ गठबंधन नहीं रखना चाहेगी। इससे पहले बीजेपी नेताओं के उनके खिलाफ बोलने पर उन्होंने कहा था कि वह बीजेपी के बारे में मित्रतावश कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन उनकी पार्टी को इस बारे में ध्यान देना चाहिए।

बजट को लेकर निराशा जाहिर करने वाले वाईएस चौधरी के खिलाफ पिछले साल आम आदमी पार्टी ने उन पर बैंकों का डिफॉल्टर होने के आरोप लगाया था। आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री यनमाला राम कृष्णाडू ने भी कहा है कि आंध्र सरकार इस बजट से खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के लिए जो भी मांगें रखी गई थीं, उन्हें पूरा नहीं किया गया। बता दें कि मोदी सरकार के आखिरी पूर्णकालिक बजट को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने भी निराशाजनक बताया है और 2 फरवरी को इसके खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

बीएमएस ने निराशा जताई है कि इस बजट में मजदूरों के लिए सरकार ने कुछ भी नहीं रखा है। संघ की तरफ से कहा गया है कि नौकरीपेशा लोगों के लिए भी बजट में कुछ खास नहीं है। भारतीय मजदूर संघ इससे पहले खुदरा और स्वदेशी व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का विरोध कर चुका है। भारतीय मजदूर संघ ने पिछले वर्ष वित्त मंत्री से मुलाकात कर करमुक्त आय को 5 लाख रुपये तक करने की मांग की थी। संगठन ने न्यूनतम मासिक पेंशन भी 3 हजार रुपये करने की मांग की थी। संघ की तरफ से कहा गया कि इस बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि बजट में किसानों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए घोषणाएं तो की गई हैं लेकिन मजदूरों के बारे में कुछ नहीं है।

 

 

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