इस बार के बजट में आंकड़े कम और घोषणाएं ज्यादा

चुनाव की चिंता न होती तो अरुण जेटली भला अपना तकरीबन आधा बजट भाषण हिंदी में न पढ़ते। हालांकि अपनी भाषा में पढ़ने की आदत नहीं होना थोड़ा असुविधाजनक था पर इसके जरिए उन गरीबों तक वे सहजता से पहुंच पाए, जिनके वोट से अगला लोकसभा चुनाव जीतने का भरोसा है। गरीबों के कल्याण से जुड़ी हर घोषणा का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल मेज थपथपा कर स्वागत किया बल्कि ऐसे अवसरों पर उनके चेहरे की रौनक देखने लायक थी। इस बार के बजट में आंकड़े कम और घोषणाएं ज्यादा थीं। जीएसटी लागू हो जाने के बाद वैसे भी सर्विस टैक्स, वेल्थ टैक्स और उत्पाद शुल्क आदि की जटिल दरों का कोई झमेला बचा ही नहीं था। सीमा शुल्क की दरों में भी चुनिंदा वस्तुओं को छोड़ बदलाव की जरूरत नहीं पड़ी। एक घंटा पचास मिनट के अपने भाषण में जेटली स्वास्थ्य के कारण से महज 25 मिनट ही खड़े रहे। बाकी वक्त उन्होंने पिछले साल की तरह इस बार भी अपना बजट भाषण बैठ कर और बार-बार पानी पीते हुए पढ़ा।

जिस समय जेटली बजट भाषण पढ़ रहे थे, लोकसभा की विशिष्ट दर्शक दीर्घा में उनकी पत्नी संगीता, बेटा रोहन और बहन मधु भार्गव भी बड़ी तन्मयता से सुन रहे थे। बाद में संगीता जेटली ने अपने पति के बजट को गृहणियों, कामकाजी महिलाओं और बुजुर्गों के लिए राहत की सौगात बताया। उनकी बहन मधु ने अपने भाई के बजट को सौ फीसद अंक दिए और कहा कि यह संतुलित है और इसमें सभी का बखूबी ध्यान रखा गया है। इस बार विपक्ष ने जेटली के साथ ज्यादा टोका-टाकी नहीं की। एकाध घोषणाओं पर ही विपक्षी सदस्यों की टिप्पणियां सुनाई पड़ी। एमएसएमई क्षेत्र के लिए जब जेटली ने कुछ रियायतों की घोषणा की तो विपक्षी सदस्यों का शोर सुनाई दिया। इस पर जेटली ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की तरफ मुखातिब होकर कटाक्ष किया- क्या ये लोग एमएसएमई को दी गई रियायतों का विरोध कर रहे हैं। सदन में सत्ता पक्ष के लगभग सभी सदस्य मौजूद थे। अरसे से बागी तेवर दिखा रहे शत्रुघ्न सिन्हा की उपस्थिति सबके कौतुहल का विषय रही।

अरुण जेटली ने किसानों के कल्याण की योजनाओं का जिक्र किया तो विपक्षी सदस्य नुक्ता-चीनी करते दिखे। खासकर समर्थन मूल्य लागत के डेढ़ गुना के बराबर करने की घोषणा के वक्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चमत्कारी नेतृत्व की जेटली ने कई बार तारीफ की। उन्होंने कहा कि देश का मौजूदा शिखर नेतृत्व गरीबी में जी कर और गरीबी को देखते हुए यहां तक पहुंचा है लिहाजा उसे गरीबों के बारे में किसी से सीखने की जरूरत नहीं है। उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना और बेघरों के लिए ग्रामीण आवास योजना के उल्लेख के वक्त मोदी ने देर तक मेज थपथपाई। स्वास्थ्य बीमा संबंधी गरीबों के कल्याण की आयुष्मान योजना के बारे में जब जेटली बोले कि यह दुनिया का सरकारी मदद वाला सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम है तो विपक्ष की प्रतिक्रिया जानने के लिए प्रधानमंत्री देर तक विपक्षी बेंच की तरफ देखते रहे। भाषण में विपक्ष की टोका टाकी बुलेट ट्रेन के जिक्र के दौरान भी दिखी। देश के आम आदमी को सस्ती हवाई सुविधा देने के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम का उल्लेख जेटली ने यह कह कर किया कि अब हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई जहाज का सफर कर सकेंगे। विमुद्रीकरण के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि लोगों ने इस फैसले ईमानदारी का उत्सव माना।

वित्त मंत्री ने वसुधैव कुटुंबकम की चर्चित उक्ति का भी उल्लेख किया और अच्छे फैसलों के बारे में स्वामी विवेकानंद का उद्धरण देना भी नहीं भूले। वेतनभोगी और व्यक्तिगत आयकरदाता उनके बजट से चाहे जितने निराश हुए हों पर गांव, गरीब, किसान, आदिवासी, दलितों और महिलाओं के प्रति जेटली ने खासी उदारता दिखाई। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उनका बजट खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और गरीबों की जिंदगी को आसान बनाएगा।

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