मानेसर भूमि घोटाला: हुड्डा समेत 34 लोगों के खिलाफ चार्ज शीट दाखिल, जानिए क्या था विवाद
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और प्रदेश के ही तीन पूर्व आला आईएएस अधिकारियों पर अब पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का मामला चलाया जाएगा। दरअसल, मानेसर जमीन घोटाला कांड में सीबीआइ ने आज शुक्रवार को हुड्डा और 33 अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र अदालत में दाखिल कर दिया। सीबीआइ की टीम जांच में जुटाए दस्तावेजों से भरी 2 अलमारियों के साथ पंचकूला अदालत पहुंची, जिनमें करीब 80 हजार पेज भरे थे, जिनमें कुछ बिल्डरों और तीन पूर्व आईएएस अधिकारियों एमएल तायल, छतर सिंह और एसएस ढिल्लों के अलावा जिला नगर नियोजक- (डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर) जसवंत सिंह के भी नाम हैं।
मानेसर जमीन घोटाले में ही सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 12 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन सीबीआइ को जांच रिपोर्ट जमा कराने के लिए चार महीने का समय दिया था और साथ ही हरियाणा सरकार को कहा था कि वह एक हफ्ते के भीतर ढींगरा आयोग की रिपोर्ट अदालत में सौंपे। अब सीबीआइ ने इस मामले में पंचकूला में सीबीआइ के विशेष जज कपिल राठी की अदालत में चार्जशीट दायर कर दी है। इस मामले पर भूपिंदर सिंह हुड्डा का कहना है कि साढ़े तीन साल में इस भाजपा सरकार ने अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया, प्रदेश में दंगे और करा दिए जिनमें निर्दोषों की जान गई। लोग अब इस सरकार को नकार चुके हैं तो वह ओछे हथकंडों पर उतारू है। वैसे जनता सब जानती है कि इन आरोपों में कहां तक सच्चाई है और पूरा माजरा है क्या? भाजपा नेता अब मेरा मुंह न ही खुलवाएं तो ज्यादा बेहतर।
सीबीआइ ने खूब मारे थे छापे: सीबीआइ को जैसे ही इस कथित घोटाले की जांच मिली तो उसने तुरंत कार्रवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा और उनके कार्यकाल में मामले से जुड़े अफसरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। इसी कड़ी में चंडीगढ़ में हुड्डा के एमएलए फ्लैट, रोहतक में उनके घर समेत करीब 24 ठिकानों पर छापेमारी करके अहम दस्तावेज जब्त किए थे।
यह है विवाद : हरियाणा की तत्कालीन हुड्डा सरकार पर उनके कार्यकाल में करीब 912 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डरों को कौड़ियों के भाव बेचने का आरोप है। पूरे मामले में करीब 1500 करोड़ रुपए की घपलेबाजी का आरोप है। यह जमीन तीन गांवों की है, जहां के किसानों ने मानेसर थाने में केस दर्ज कराया और फिर भाजपा सरकार ने 17 सितंबर, 2015 को मामला सीबीआइ के सुपुर्द कर दिया। सीबीआइ ने अपनी पड़ताल के बीच भू अधिग्रहण में कथित अनियमितता पर प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट-1988 की धारा 420, 465, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया था। आरोप है कि हरियाणा सरकार में आला अधिकारियों और बिल्डरों के बीच साठगांठ थी। पिछली सरकार ने आइएमटी, मानेसर की स्थापना के लिए 900 एकड़ जमीन अधिग्रहीत करने के लिए मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों के ग्रामीणों को धारा 4, 6 और 9 के तहत नोटिस थमाए थे। इसके बाद निजी बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण का डर दिखाकर जमीन के सौदे कर लिए और जमीनें कौड़ियों के भाव खरीद लीं। इसी दौरान निदेशक- उद्योग ने 24 अगस्त, 2007 को सरकारी नियमों को धता बताते हुए बिल्डरों द्वारा खरीदी जमीनों को अधिग्रहण प्रक्रिया से मुक्त कर दिया।