महाराष्ट्र: 11,700 सरकारी कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा, बर्खास्त कर सकती है सरकार
फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पाने वाले महाराष्ट्र सरकार के 11,700 कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। इन सभी की नौकरी जाना लगभग तय माना जा रहा है। हालांकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से हटाने को लेकर देवेंद्र फडणवीस की सरकार पसोपेश में है। बता दें कि 7 महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी पाने वालों पर कार्रवाई के आदेश दिये थे। इसी 7 महीने पुराने आदेश को लागू करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार के पसीने छूट रहे हैं। बताया जा रहा है कि सूबे में करीब 11,700 कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर सूबे में शेड्यूल्ड ट्राइब्स यानी जनजाति कोटे के तहत नौकरी हासिल की थी। सरकारी नौकरियों के लिए फ्रॉड किया जाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र प्रशासन के लिए नौकरी में फर्जीवाड़े की इतनी बड़ी संख्या सामने आना आंखे खोलने वाला है। अब एक झटके में इतने लोगों को नौकरी से हटाना अपने आप में बड़ी बात है। यही नहीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले तमाम ऐसे भी कर्मचारी हैं, जो करीब दो दशक तक नौकरी कर चुके हैं। क्लर्क के तौर पर भर्ती किए गए तमाम लोग ऐसे भी हैं, जो राज्य सरकार में डेप्युटी सेक्रटरी तक के पद पर पहुंच गए। यदि इन कर्मचारियों को हटाया जाता है तो राजनीतिक दल और यूनियन भी इस मसले पर मोर्चा खोल सकते हैं।
जुलाई, 2017 में दिए अपने एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फर्जी जाति प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी और शैक्षणिक संस्थान में दाखिल पाने वाले लोगों की जॉब या डिग्री वापस ले ली जानी चाहिए। यही नहीं शीर्ष अदालत ने ऐसे लोगों की नौकरी छीने जाने के अलावा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जानी चाहिए।