CM योगी आदित्यनाथ ने टाटा से लेकर अंबानी-अडानी सहित 5 हजार लोगों को बुलाया रात के खाने पर, ये है मकसद

उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश की व्यवस्था कर औद्यौगिक पिछड़ापन दूर करने के लिए देश के बड़े उद्योगपतियों को आकर्षित करने की कोशिश में योगी आदित्यनाथ सरकार जुटी है। यूपी में 21 और 22 फरवरी को इनवेस्टर्स समिट का आयोजन होने जा रहा है। इसमें देश के शीर्ष पांच हजार उद्योगपतियों, इनवेस्टर्स और बैंकर्स को बुलाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी के लिए शुद्ध शाकाहारी डिनर  रखा है। जिसमें मुकेश अंबानी, टाटा ग्रुप के रतन टाटा, कुमार मंगलम बिड़ला, शिव नडार और गौतम अडानी आदि हिस्सा लेंगे।सियासी गलियारे में इसे डिनर डिप्लोमेसी बताया जा रहा है। राजधानी लखनऊ में आयोजित होने वाले इस मेगा आयोजन के जरिए पांच लाख करोड़ रुपये निवेश जुटाने का टारगेट रखा गया है। सम्मेलन का उद्घाटन  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। मुख्यमंत्री की ओर से सभी उद्योगपतियो को उद्घाटन सत्र के आखिर में डिनर दिया जाएगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी रिपोर्ट के मुताबिक औद्यौगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि देश के सभी शीर्ष उद्यमियों को डिनर का न्यौता भेजा गया है। पूरे देश भर से इंडस्ट्रियलिस्ट, इनवेस्टर्स, बैंकर्स सहित पांच हजार से अधिक मेहमान डिनर का हिस्सा बनेंगे। एक एनआरआई सत्र भी आयोजित होगा। बता दें, पिछले कुछ हफ्ते के बीच में राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता और अहमदाबाद सहित छह स्थानों का दौरा कर निवेशकों से संपर्क किया। मुंबई में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निजी तौर पर रतन टाटा, मुकेश अंबानी से मुलाकात की वही बिड़ला को लखनऊ बातचीत के लिए बुलाया था। सरकारी सूत्र बताते हैं कि इन प्रयासों से 2.85 ट्रिलियन रुपये निवेश के प्रस्ताव आए। सिर्फ मुंबई के समिट से ही 1.25 ट्रिलियन निवेश का रास्ता खुला।

वहीं 18 जनवरी को गौतम अडानी ने अहमदाबाद में यूपी के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी। योगी आदित्यनाथ के लिए यह सम्मेलन प्रतिष्ठा का विषय बना है, क्योंकि इसकी सफलता में ही मुख्यमंत्री की सफलता है। यही वजह है उन्होंने काफी समय पहले से ही अधिकारियों को समिट के आयोजन के लिए नीतियां तैयार करने का निर्देश दे रखा था। सरकार को उम्मीद है कि इस समिट से पर्यटन और सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमों को भरपूर आर्थिक खुराक के साथ  राज्य के औद्यौगिक और सेवा क्षेत्रों को प्रोत्साहन मिलेगा।  बता दें कि मायावती और अखिलेश यादव शासन के दौरान हुए ऐसे प्रयासों से  पांच सौ अरब के निवेश प्रस्ताव आए थे, हालांकि अधिकांश प्रस्ताव कागजी साबित हुए। क्योंकि गलत पॉलिसी के साथ खराब कानून-व्यवस्था के कारण उद्योगपतियों ने बाद में आने से हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि योगी आदित्यनाथ सरकार में निवेश के प्रस्ताव धरातल पर किस तरह उतरते हैं।

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