तेलंगाना: दलित अंबेडकर की मूर्ति लगाने पर आमादा, पिछड़ी जाति के लोगों ने कहा- यहां गणेश की प्रतिमा लगाते हैं
तेलंगाना में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर दलित और पिछड़ी समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए हैं। दलित समुदाय अंबेडकर की मूर्ति लगाने पर आमादा है। वहीं, पिछड़ी जाति के लोगों का कहना है कि अंबेडकर की मूर्ति लगाने से गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश की प्रतिमा लगाने में दिक्कत पेश आएगी। गौड़ (बैकवर्ड क्लास) और दलित समुदाय अपने रुख से टस से मस होने नाम नहीं ले रहे हैं, जिसके कारण टकराव की आशंका गहरा गई है। ‘द न्यूज मिनट’ के अनुसार, यह मामला महबूबनगर जिले के जड़चेरला शहर के अंबेडकर नगर का है। जानकारी के मुताबिक, दलितों ने 24 जनवरी को आरडीओ (रुरल डिवीजनल ऑफिसर) और पुलिस कमिश्नर से मूर्ति लगाने की अनुमति ली थी। अंबेडकर की मूर्ति के अनावरण के लिए बाकायदा स्वास्थ्य मंत्री सी. लक्ष्मा रेड्डी को निमंत्रण भी भेजा गया था। इसे देखते हुए दलित समुदाय 3 फरवरी को अंबेडकर की मूर्ति भी ले आए थे। ये सब निगमायुक्त की मंजूरी के बिना ही किया गया था। हालात बिगड़ने की आशंका को देखते हुए स्थानीय पुलिस ने उसी दिन दलित समुदाय के 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। पुलिस ने बताया कि दोनों पक्षों के लोग अपना बर्चस्व दिखाने की कोशिश में लगे थे।
दलित छात्र नेता कुरुमूर्ति के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हमलोग एक साल से भी ज्यादा समय से अंबेडकर की मूर्ति लगाने की कोशिश में जुटे हैं। हमने इसके लिए पैसा जुटाया और स्थानीय प्रशासन से इसकी अनुमति मांगी थी। गौड़ समुदाय इसमें बाधा उत्पन्न कर रहा है। अंबेडकर की मूर्ति लगाने में आखिर क्या दिक्कत है? वह हमारे लिए लड़े थे। हमलोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की थी, लेकिन वह नहीं माने।’ कुरुमूर्ति ने गौड़ समुदाय पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से साठगांठ करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि गौड़ समुदाय पहले इसके चलते गणेश की प्रतिमा लगाने में दिक्कत आने की बात कही थी। अब यहां पर भारत माता की प्रतिमा लगाने की बात कर रहे हैं। सोमवार (5 फरवरी) को हैदराबाद से दलित कार्यकर्ताओं और वकीलों का एक दल जड़चेरला गया था।
मालूम हो कि कुछ दिनों पहले आंध्र प्रदेश में रास्ते को लेकर अगड़ी जाति और दलित समुदाय के बीच टकराव की घटना सामने आई थी। अगड़ी जाति ने दलितों का बहिष्कार कर दिया था। दरअसल, ऊंची जाति के लोगों ने दलितों के लिए आम रास्ते का इस्तेमाल न करने को लेकर फरमान जारी किया था। इसे न मानने पर दलित समुदाय का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था। उनके बच्चों को स्कूल जाने से रोक दिया गया था और समुदाय के लोगों को काम देने से इनकार कर दिया गया। अगड़ी जाति के लोगों का कहना है कि दलितों के गांव के मुख्य मार्ग से जाने पर उनके देवता अपवित्र हो जाएंगे। यह मंदिर सड़क के बीचों-बीच स्थित है। सामाजिक बहिष्कार से दलित समुदाय को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।